सारे आलम में मुहब्बतों की बारिश कर दे मेरे मौला..
-दीन सीखने के लिए दुनियाभर में फैलीं सैकड़ों जमातें
-शुरू हुआ ताजुल मसाजिद का बाजार
भोपाल। ऐ अल्लाह, हम गुनाहगार हैं, खतावार हैं, कुसूरवार हैं, हमारे आमाल ऐसे नहीं, जो तुझसे माफी भी तलब कर सकें... लेकिन ऐ अल्लाह, तू नुक्तानवाज है, सबकी सुनने वाला है, अपने फजल-ओ करम से हमारे गुनाहों को माफ कर दे.... ऐ अल्लाह हम बेशक दुनिया की चकाचौंध में खोए हुए हैं, तेरे अरकान, तेरे नाम को भूले हुए हैं, तू हमें दीन की रस्सी मजबूती से पकडऩे की तौफीक दे दे.... ऐ अल्लाह दुनिया बनाने में हमने आखिरत को भुला दिया है, तू हमें नेक रास्ते ले आ और अपना बना ले... ऐ अल्लाह हमसे राजी हो जा, हमें अपना बना ले, अपने महबूब बंदों में हमें शामिल कर दे.... ऐ अल्लाह, दुनिया में आज जो हालात हैं, बेशक हमारी बेहयाई, लापरवाही, गुनाहों और तेरी बात को न मानने से हैं, ऐ अल्लाह हमें गुनाहों की जिंदगी से बाहर निकाल दे और वैसा बना दे, जैसा तू अपने नेक बंदों से तवक्को करता है... ऐ अल्लाह दुनियाभर में लोग परेशान हैं, बीमार हैं, कर्जदार हैं, ऐ अल्लाह सबको शिफा अता फरमा, परेशानियों से निजात अता फरमा, कर्जों की अदाएगी की सूरत बना दे, ऐ अल्लाह दुनिया में सुकून, अमन, भाईचारे और अपनेपन के हालात बना दे, सारे आलम में मुहब्बतों की बारिशे बरसा दे.... हमने जो मांगा, वह भी अता फरमा, जो मांगने से रह गया, वह भी अता फरमा, हमारी तमाम जायज तमन्नाओं को अपने फजल-ओ-करम से कुबूल फरमा....! आमीन!
72वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा के आखिरी दिन सोमवार को दुआ-ए-खास के दौरान जब दिल्ली मरकज के हजरत मौलाना साअद साहब कांधालवी ने दुआ की शुरूआत की तो लाखों लोगों के मजमे में सन्नाटा पसर गया। पूरे वातावरण में दूर-दूर तक महज मौलाना की दुआ और बीच-बीच में लोगों की आमीन कहने की आवाजें ही गूंज रही थीं। दुआ की गहराई में डूबते-उतरते मजमा कभी रोने लगता था तो कभी आमीन कहने के लिए अपने रुंधे गले को साफ करता था। दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर शुरू हुई दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक चली। दुआ के बाद जब मौलाना साअद साहब ने अपनी बात रोकी तो मजमा कुछ पलों के लिए खामोशी में डूबा रहा और उसके बाद चार माह और चालीस दिनों के लिए रवाना होने वाली जमातों को रवाना करने की तरतीब बनना शुरू हो गई।
अल्लाह की रस्सी मजबूती से पकड़ो
आज दुनिया में तुम्हें हर चीज, हर बात, हर परेशानी से डर लगता है और छोटी-बड़ी बात पर परेशान भी हो जाते हो। अल्लाह से मांगने की आदत छोडऩे और सभी कुछ उससे होने का अकीदा तोड़ देने की वजह से यह हालात बन रहे हैं। सुबह फजिर की नमाज के बाद दुआ-ए-खास से पहले किए बयान में यह बात कहीं गईं। अल्लाह की रस्सी मजबूती से पकड़ लो, तुम्हारी हर परेशानी खत्म हो जाएगी, फिर किसी छोटी-बड़ी परेशानी से तुम्हें डर नहीं लगेगा। नेक रास्ते पर चलने, किसी को तकलीफ न देने, आपसी रिश्ते बेहतर रखने और सबके काम आने की हिदायत भी मजमे को दी गई।
सुबह से बढऩे लगा था मजमा
दुआ-ए-खास के लिए जमातों और व्यक्तिगत तौर पर लोगों के इज्तिमागाह पहुंचने का सिलसिला शनिवार रात से ही शुरू हो गया था। मुकामी लोगों ने भी अपने कामों से फारिग होकर इज्तिमागाह में कयाम करने की तरतीब बनाना शुरू कर दी थी। रविवार अल सुबह से लोगों का मजमा ईंटखेड़ी की तरफ बढ़ चला था। इसके बाद भी सोमवार सुबह से ही लोगों की आमद का सिलसिल और तेज होता गया। जहां तक नजर जाती थी, हर तरफ से इज्तिमागाह की तरफ बढ़ते जमाती ही दिखाई दे रहे थे। रास्तेभर वालेंटियर्स इंतजाम संभाल रहे थे और लोगों को तरतीब से और सुकून से वाहन चलाने तथा पैदल चलने की ताकीद कर रहे थे। बड़ी तादाद में पुलिस की कई टुकडिय़ां भी इज्तिमा मार्ग पर तैनात थीं और आने-जाने वालों की सुरक्षा पर नजर रख रही थीं।
वापसी सफर के लिए हुए इंतजाम
रेलवे ने जमातों की वापसी यात्रा को सुलभ करने के लिहाज से करीब 12 स्पशल ट्रेनें चलाई थीं। जिनमें आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली सहित कई मार्गों की टे्रनें शामिल हैं। इसके अलावा करीब 23 ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाकर भी जमातियों को सहूलियत देने की कोशिश की गई है। इधर सड़क मार्ग से घरों को जाने वाले जमातियों के लिए आरटीओ ने करीब 400 स्पेशल बसों का इंतजाम किया है। यह बसें अलग-अलग शहरों और गांवों तक जमातियों को छोडऩे के लिए भेजी गई हैं।
नजारे गंगा-जमुनी तेहजीब के
देश-विदेश के मेहमानोंं की खिदमत में न केवल भोपाल के बाशिंदे बल्कि आसपास जिलों के लोग भी सहयोग देते दिखाई दिए। सीहोर जिले के ग्राम मूंडला कलां से पूर्व सरपंच हसनात खां (मामा) की अगुवाई में सैकड़ों युवा खजूरी सड़क नया बाईपास रोड पर पंडाल लगाकर तब्लीगी इज्तिमा में आ रहे मेहमानों की खिदमत में लगे हुए थे। इस दौरान नयापुरा के पूर्व सरपंच देवीसिंह मीना, राजा पटेल, भूरा पटेल, डॉ. इलियास, अशरफ पटेल, सलीम भाई, फकीर भाई, रुखसार भाई, उस्मान भाई, इमरान भाई, हरिप्रसाद पाल नयापुरा, चतरसिंह ठाकुर बकतल, सरपंच देवी प्रसाद कराडिय़ा भील, अमित शर्मा, बकतल, चतरसिंह पटेल खजूरी तथा सिराज भाई सीहोर सहित अन्य लोगों ने तीनों दिन लोगों की खिदमत की।
सज गया इज्तिमा बाजार
ताजुल मसाजिद परिसर में बरसों होते रहे आलमी तब्लीगी इज्तिमा के समय से ही यहां एक बाजार लगने की परंपरा रही है। ताजुल मसाजिद और यतीम खाने के परिसर में लगने वाली सैकड़ों दुकानों से इन संस्थाओं के सालाना खर्चोंं की भरपाई होती आई है। दुआ-ए-खास होने के बाद इस बाजार की शुरूआत हो गई है, जिसमें पहले ही बड़ी तादाद मेंं बाहर से आए जमाती खरीदारी करने पहुंचे।
सबका शुक्रिया, सबका आभार
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दौरान सहयोग करने वाले सभी लोगों और संस्थाओं का इज्तिमा इंतेजामिया कमेटी ने शुक्रिया अदा किया है। कमेटी के प्रवक्ता अतीक उल इस्लाम ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम, पीएचई, विद्युत विभाग, रेलवे, संचार निगम, स्वास्थ्य विभाग के सभी जमीनी कर्मचारियों और आला अधिकारियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इन्हीं के प्रयासों से आलमी तब्लीगी इज्तिमा की व्यवस्थाएं दुरुस्त हो पाई हैं और इन्हीं की कोशिशों से एक बेहतर आयोजन हो पाया है। उन्होंने शहरभर में मुस्तैद रहे वालेंटियर्स, रेलवे स्टेशन और बस स्टेंड के अलावा विभिन्न स्थानों पर इस्तकबालिया कैम्प लगाने वाली संस्थाओं का भी शुक्रिया अदा किया है।
झलकियां
-इज्तिमा की शुरूआती दौर में शिरकत करने के लिए लोग तांगा, बग्गी, हाथ ठेलों आदि के सहारे इज्तिमागाह तक पहुंचते थे। जबकि बदले हालात में अब यहां आने वाले अधिकांश लोग लक्जरी वाहनों और सुविधओं के साथ आते हैं।
-सोमवार को दुआ-ए-खास में शामिल होने वाले जमातियों की बड़ी तादाद को देखकर अंदाज लगाना मुश्किल हो रहा था कि चार दिन से मौजूद बड़े मजमे के अलावा यह अवाम कहां बाकी रह गई थी।
-एक अनुमान के मुताबिक दुआ-ए-खास में शामिल होने वालों की तादाद 15 लाख के पार बताई जा रही है।
-दुआ में शामिल होने के लिए पहुंचने वालों को देखकर नमाज-ए-ईदगाह के लिए जाते हुए लोगों का अहसास हो रहा था।
-शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सुबह से ही बाजार बंद थे और यहां सन्नाटा पसरा हुआ था। दुआ के बाद भी देर शाम को पहुंचने के कारण बाजारों की रौनक नहीं लौट पाई।
-दुआ से फारिग होने के बाद इज्तिमागाह से हर तरफ जाने वाले हर रास्ते पर नजर पहुंचने के दायरे तक टोपियां ही टोपियां दिखाई दे रही थीं।
-डीआईजी इरशाद वली और कलेक्टर तरुण पिथोड़े सुबह से ही नए ब्रिज के पास बैठकर व्यवस्था पर नजर बनाए हुए थे, धूल, गर्दी और वाहनों से उठते धुंए से बचाव के लिए दोनों ने मॉस्क लगा रखे थे।
-शहर वापसी की राहों में जगह-जगह खानपान की दुकानों के अलावा सब्जियां और फू्रटों की अस्थायी दुकानें भी लग गई थीं।
-मर्दों और बच्चों के दुआ में शरीक होने के लिए चले जाने के बाद महिलाओं ने घरों में बैठकर ही तिलावत-ए-कुरआन और जिक्र-अस्तगफार का मामूल बनाया।
-एक निजी टीवी चैनल द्वारा दुआ-ए-खास का लाइव प्रसारण किए जाने से राजधानी से बाहर रह रहे ऐसे लोगों को सहूलियत मिल गई जो किसी वजह से इज्तिमा में शरीक होने नहीं आ पाए थे।
-चार दिनी इज्तिमा खत्म होने के बाद बड़ी तादाद में जमातों की रवानगी हुई है, जो देश-विदेश में पहुुंचकर ईमान और सच्चाई की बात का प्रचार करेंगी।
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