मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के समक्ष वेतन के लाले
भोपाल। मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की समस्याओं के निदान एवं आठ माह से लंबित वेतन को लेकर जारी धरना प्रदर्शन निरंतर जारी है। हालांकि इस संबंध में प्रदेश के सभी जिम्मेदारों से निवेदन किया जा चुका है, लेकिन इसके फलस्वरूप सभी जिम्मेदारों ने इसपर चुप्पी साध ली है। उधर धरना-आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का आरोप है कि 5500 करोड़ की संपत्ति वाले निगम ने 189 कर्मचारियों की न तो सुध ली है और न ही उनकी व्यथा को सुनने को तैयार है। यही कारण है कि निगम कर्मियों की दशा अब में बदल गई है। कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान की कांग्रेस सरकार का कार्यकाल एक वर्ष पूरा होने वाला है लेकिन निगम के कर्मचारियों को आठ माह से वेतन नहीं मिल सका है। यह हाल तब है जब निगम के 28 डिपो कार्यालयों पर मध्य प्रदेश शासन परिवहन विभाग के कार्यालय संचालित हो रहे हैं। प्रदेश के 78 बस स्टैंडों में से 44 बस स्टैंड सड़क पर निगम की स्वयं की संपत्ति है, उन पर नगर निगम नगर पालिकाओं का अधिपत्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि उक्त स्थानों से होने वाली आय का कोई भी लेखा-जोखा भी सड़क परिवहन निगम प्रबंधन को नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा डिपो कार्यालय में संचालित परिवहन विभाग के कार्यालयों का किराया भी आज तक निर्धारित नहीं किया गया। जबकि जनवरी 2005 में सड़क परिवहन निगम के परिसमापन की कार्रवाई के समय निर्णय लिया गया था कि जबतक वैधानिक परिसमापन नहीं किया जाता है तब तक वेतन भत्तो का भुगतान मध्यप्रदेश शासन ही करेगा। इस मामले में केंद्र शासन के श्रम विभाग द्वारा भी निर्देशित किया जा चुका है कि जब तक सड़क पर निगम के कर्मचारियों का व्यवस्थापन नहीं किया जाता, तब तक निगम को बंद किए जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अब जबकि सड़क परिवहन निगम की चल-अचल संपत्ति को परिवहन विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा विक्रय किया जा चुका है, संपत्ति से प्राप्त आय के संबंध में सड़क परिवहन निगम प्रबंधन आज तक अनभिज्ञ हैं।
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