मंत्री के समक्ष उठाएंगे इमामों की तनख्वाह का मामला
भोपाल। शहर की मस्जिदों में सेवाएं दे रहे इमाम और मोअज्जिन मक्का-मदीना की जियारत करने का मौका दिया जाना चाहिए, इसके लिए राज्य हज कमेटी को इंतजाम कर इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि काफी कम तनख्वाह में कौम की खिदमत करने वाले इमाम और मोअज्जिन भी अपनी जिंदगी में मक्का की जियारत कर फर्ज अदायगी कर सकें। उक्त मांगों को उठाने वाली जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने मध्यप्रदेश राज्य हज कमेटी से मांग करते हुए अब इसे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील के सामने उठाने की बात कही है। इस संबंध में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि हज या उमरे की ख्वाहिश रखने वाले इमाम, मोअज्जिन हजरात जिनके लिए इतनी कम तनख्वाह में घर चलाना भी मुश्किल होता है, ऐसे में उनकी फिक्र मुसलमानों को फैज पहुंचाने वाली कमेटियों को करना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि हिंदुस्तान की हज कमेटियों की ओर से सरकारी खर्चे से हर साल किसी न किसी को हज इमाम या मोअज्जिन को बैतुल्लाह का दीदार करने का मौका दिया जाए।
जमीअत उलमा मप्र के मो. हारून ने कहा कि हर साल मध्यप्रदेश हज कमेटी से भी हज पर कई लोगों को भेजा जाता है और खादिमुल भी हज कमेटी की जानिब से हज पर जाते हैं, तो क्यों न हर साल कम से कम 3 इमामों या मोअज्जिनों को यह मौका कुराअंदाजी के जरिए हज कमेटी की जानिब से दिया जाए, ताकि उम्र में एक बार हज की ख्वाहिश से वे महरूम न रहें और मक्का मुकद्दस की जियारत कर सकें। इसके लिए ऐसी तरतीब बनानी होगी जिससे इमाम और मोअज्जिनों का फर्ज अदा हो सके।
पे्रस सचिव हाजी इमरान ने कहा कि इसके अलावा कई बार इमाम मोअज्जिन हजरात की तनख्वाह बढ़ाने का मुतालबा भी किया जा चुका है, लेकिन उसपर अब तक अमल नहीं होने की सूरत में अब जमीअत उलमा मध्यप्रदेश राज्य हज कमेटी से मांग करती है कि कमेटी अपने खर्च पर इमाम हजरात को हज का मौका दे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की जानिब से मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना हर धर्म और वर्ग के लोगों के लिए चलाई जाती है। इस योजना के तहत भी कम-से कम दस इमामों को हर वर्ष हज का मौका दिया जा सकता है, ताकि उनकी भी हज करने की दिली ख्वाहिश पूरी हो सके। इस मतालबे को जमीअत उलमा मध्यप्रदेश की जानिब से मरकजी हज कमेटी और मरकजी सरकार को भी भेजा जा रहा है।
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