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कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता: मिसाल बने शैलेन्द्र और कमल हसन

कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता: तबियत से पत्थर से तो उछालो यारों



भोपाल। कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता, तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारो, यह शेर उन हौसलेवीरों पर सटीक बैठता है जो अपने कारनामों पर  किसी बहाने को आड़े नहीं आने देते। ऐसा ही कुछ कारनामा किया है भोपाल के शारीरिक रूप से नि:शक्त दिव्यांग खिलाड़ी  शैलेन्द्र यादव ने। जिन्होंने अपनी शारीरिक कमियों को धता बताते हुए न केवल उज्जैन तक का सफर व्हीलचेयर से तय किया बल्कि उत्तराखंड से अपने साथी कमल हसन को भी हौसलों से लबरेज कर यात्रा में शामिल कर लिया। शैलेन्द्र बताते हैं कि फिलहाल उनकी नजर वल्र्ड रिकॉर्ड पर है जहां पर इतनी लंबी व्हीलचेयर यात्रा नहीं दर्ज की गई है। 
निरंतर बढ़ते रहने का संदेश



शैलेन्द्र ने यह यात्रा भोपाल से 11 नवंबर को शुरू की थी। लौटने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी यह यात्रा अपने जैसे असंख्य लोगों को संदेश देने के मकसद से की, जो अपने शारीरिक कमियों को दूसरों से कम आंकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर लेकर भी काम नहीं किया जा सकता जब तक की काम को करने का इरादा और हौसला दोनो का तालमेल न हो। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि मैं सभी लोगों को कहता हूं कि केवल इरादा करें तो सब काम संभव हो सकते हैं। 
कठिनाइयों भरी रही राह
सुनने में जरूर आसान लगती होगी लेकिन यह यात्रा आसान नहीं थी। शैलेन्द्र और उनके साथी के अडिग फैसले और हिम्मत से उनकी छह दिन की यात्रा के बाद देवास पहुंचे थे जहां पर उन्होंने विश्राम किया और सोमवार को फिर उज्जैन के लिए यात्रा शुरू की। उज्जैन पहुंचकर उन्होंने रााित्र विश्राम के बाद महाकालेश्वर के दर्शन किए और ट्रेन से वापस लौटे। इस तरह कुल 250 किमी की लंबी और साहसिक यात्रा उन्होंने पूर्ण की है। 
घाटी और सड़क के गड्ढों को पार करना चुनौती

शैलेन्द्र बताते हैं कि इस दौरान कई स्थानों पर सकरी और बदहाल सड़कों पर बने गड्ढों और लंबी चढ़ाई पार करना उनके लिए चुनौती साबित होता था। 7 दिनों की निरंतर यात्रा में शैलेन्द्र यादव और कमल हसन के हाथों और पैदल यात्रा कर उनकी हौसला अफजाई कर रहे ज्ञानसिंह यादव के पैरों के छाले भी उनके यात्रा के बाधक नहीं बन सके। 
कई स्थानों पर समाजसेवकों ने किया उनका सम्मान
भोपाल से निकलने के बाद कई स्थानों सीहोर, देवास, सोनकच्छ और उज्जैन में लोगों ने उनके हौसलों को सलाम करते हुए उनका सम्मान किया और उनकी साहसिक यात्रा की सराहना की।


 


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