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खिदमत से मिलता है खुदा...!

-जमातियों को मेहमान मानकर खिदमत में जुटा शहर



भोपाल। सबके अलग कारोबार, नौकरी, मसरूफियत... लेकिन एक अरमान ये कि जमात में आए अल्लाह के मेहमानों के लिए कुछ कर गुजरें। जमातियों के सामान सहेजने से लेकर उन्हें गाडिय़ों से इज्तिमगाह तक पहुंचाने तक, खानपान के इन्तजाम से लेकर इज्तिमगाह या उसके पहुँच मार्ग की सफाई करने तक और लोगों के छोटे-बड़े वाहनों को सहेजने से लेकर आते-जाते जमातियों को पानी-चाय पिलाने में वालेंटियरी तौर पर लोग जुटे हुए हैं। सबकी एक आवाज, एक मंशा, एक मकसद, खिदमत से खुदा मिलता है, ये मौका छोड़ा न जाए।
72वें आलमी तब्लीगी इजि़्तमा के लिए शासन-प्रशासन के पचासों इंतजाम और हजारों अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं। इनके सहयोग के लिए इन कर्मचारियों से कई गुना ज्यादा वालेंटियर खिदमत में जुटे हुए हैं। शहर की बिगड़ैल यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने में बड़ी भूमिका वालेंटियर्स निभा रहे हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर हमीदिया रोड, नादरा बस स्टैंड और भोपाल टाकीज चौराहे से इज्तिमगाह तक यातायात व्यवस्थापक तैनात हैं। ट्रैफिक कंट्रोल के साधारण नियम जानकर ये लोग हजारों वाहनों की आवाजाही को सुगम बना रहे हैं। यातयात व्यवस्था सम्हालने में शामिल इरफान जाफरी का कहना है कि खिदमत की नीयत के साथ किए जाने वाले इस काम में इज्तिमगाह आने-जाने वाले आम शहरियों का खास सहयोग मिलता है, जिससे ये काम आसान हो जाता है।
पाकिंग व्यवस्था
करीब ढाई सौ एकड़ जमीन पर फैले पार्किंग के 50 से ज्यादा जोन की व्यवस्था भी वालेंटियर्स के हाथों में है। हजारों मददगारों ने ये काम बखूबी सम्हाल रखा है। यहां आने वाले लाखों छोटे-बड़े वाहनों को व्यवस्थित रखना और उनको तरीके से पार्किंग के बाहर भेजना भी इज्तिमगाह की व्यवस्था को दुरुस्त रखने में महति भूमिका निभाता है। पार्किंग व्यवस्था से जुड़े दानिश खान का कहना है कि खिदमत के जज्बे से किए जाने वाले किसी भी काम में बेशक अल्लाह की मदद होती है, इसलिए सारा काम सुकून से निपट जाता है।
इन्हें नहीं नाम की ख्वाहिश
भोपाल स्टेशन पर स्थित स्वागत कैम्प पर आने वाले हर जमाती को पानी, चाय, नाश्ता और खाने का इंतजाम होता है। करीब एक सप्ताह तक लगातार लगने वाली सामग्री की व्यवस्था के लिए यहां के यहां के वालेंटियर को किसी से मदद नहीं मांगना पड़ती है। यहां सामग्री भेजने वाले ज्यादातर लोग अपने नाम गुप्त ही रखना चाहते हैं। कमोबेश यही हाल भोपाल टाकीज, नादरा बस स्टैंड आदि के केम्पों में बनते हैं।


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