सरकार का कार्यकाल एक साल, लेकिन कर्मचारी हित में कोई भी उचित कदम नहीं
भोपाल। वचन पत्र के आधार पर चलेगी सरकार की घोषणा पर सत्ता में आने के बाद एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है परंतु विगत एक वर्ष में ऐसा कोई कर्मचारी हितैषी निर्णय नहीं लिया गया जिससे कर्मचारी असंतुष्ट होकर सरकार की वाहवाही करें। राज्य कर्मचारी समिति के स्थान पर सरकार द्वारा कर्मचारी आयोग गठन करने की बात तो कही लेकिन गठन के उपरांत उसके जो अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारी का चयन किया जाना था उसमें भी कर्मचारी प्रतिनिधि को अध्यक्ष ना बनाते हुए सेवा निर्वत अघिकारी को लाभ प्राप्त होने जैसी बात की जा रही है। निगम मंडलों के कर्मचारियों के लिए वचन पत्र में बहुत कुछ कहा गया था परंतु आज सड़क परिवहन निगम जैसी संस्था के कर्मचारियों को 8 माह से वेतन प्राप्त नहीं हो रहा है इसके अतिरिक्त कई निगम मंडलों में वेतन विसंगति है तो कई निगम मंडलों में सेवानिवृत्ति अवधि में विसंगति वेतनमान में विसंगति यहां तक कि 27 माह का जो एरियार सरकार अपने कर्मचारियों को दे चुकी है वहीं निगम मंडलों के कई मंडलों के कर्मचारियों को एरियर का भुगतान प्राप्त नहीं हो सका इस संबंध में सरकार अपने स्वयं के वित्त मंत्री की भी बात को अनदेखी कर रही है आखिरकार यह सब क्यों इसके पीछे कारण क्या ? समझ से परे है कर्मचारी संगठनों के बीच कार्य करने वाले प्रतिनिधी वचन पत्र बनाने में अपनी सहभागिता देने वाले प्रतिनिधि भी सरकार के इस कार्य से परेशान हैं ! सरकार द्वारा कर्मचारी हितैषी निर्णय नहीं होने के कारण से कर्मचारी प्रतिनिधि अत्यंत दुखी एवं विचलित है सरकार द्वारा कर्मचारी हितैषी निर्णय नहीं होने के कारण से कर्मचारी प्रतिनिधि अत्यंत दुखी एवं परेशान है जिन्होंने सीधे तौर पर तत्कालीन सरकार का विरोध कर वर्तमान सरकार के पक्ष में प्रदेश में काम किया वचन पत्र बनाने में सहयोग किया ऐसे जनप्रतिनिधियों को अन्य कर्मचारियों की बातें सुनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है उनका जवाब दिया जाना प्रतिनिधियों को भारी पड़ रहा हैं! पूरे प्रदेश में कर्मचारी आंदोलनरत हैं। कर्मचारियों की मध्यस्था करने वाले प्रतिनिधि भी सरकार के रवैए से दुखी हैं बातें बहुत होती है लेकिन उन बातों पर अमल नहीं किया जाता सिर्फ केवल सिर्फ वादों के आधार पर वर्तमान व्यवस्था चल रही है सरकार जहां एक साल पूरा होने का जश्न मनाने की तैयारी में है वही कर्मचारी आंदोलन की इस आपसी असमंजस की स्थिति को समाप्त करने के लिए तत्काल कर्मचारी हितैषी निर्णय वचन पत्र अनुसार लिया जाना चाहिए! वरना नगर पालिका नगर निगम नगर पंचायत एवं पंचायत चुनाव में इसका खामियाजा को भुगतना पड़ सकता है वर्तमान सरकार को ! सरकार की जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं नीतिगत निर्णय लेने में जो ढील पोल हो रही है उससे सरकार की छवि खराब हो रही है सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि इस बात को समझें और सरकार की छवि बनाने के लिए जो वादे सरकार में आने के पूर्व किए थे उन वादों को पूरा करें।
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