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मप्र उर्दू अकादमी ने शुरू किया इग्रू में हो रहे उर्दू कोर्सेस में दाखिले करवाने का अभियान

अकादमी ने उठाया इग्रू का टॉरगेट


पूरा करने का झंडा



भोपाल ब्यूरो
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्रू) उर्दू सहित विभिन्न भाषाओं के करीब 200 कोर्स संचालित कर रहा है। इन कोर्स में दाखिला लेने की आखिरी तारीख करीब है और उसको जरूरत के स्टुडेंट्स नहीं मिल पा रहे हैं। उसकी इस समस्या के समाधान के लिए मप्र उर्दू अकादमी ने पहल कर दी है। उसने अपने मूल स्वरूप को दरकिनार कर इग्रू में एडमिशन के लिए एक मुहिम चला दी है। इसके लिए विधिवत एक आयोजन भी मंगलवार को अकादमी की लाइब्रेरी में कर डाला। लेकिन हालात ढाक के तीन पात जैसे दिखाई दिए और जिनके लिए आयोजन किया गया था, वह स्टुडेंट्स कार्यक्रम में पहुंचे ही नहीं।
मप्र उर्दू अकादमी के जिम्मे उर्दू जुबान की तरक्की के लिए आयोजन करना है। लेकिन यहां से होने वाले आयोजन अब उर्दू और अदब की खिदमत के बजाए दूसरे विभागों की मदद करने जैसे बनते जा रहे हैं। मंगलवार को अकादमी की लाइब्रेरी में आयोजित किए गए कार्यक्रम में इग्रू में दाखिले को प्रमोट करने की मंशा रखी गई थी। मप्र उर्दू अकादमी सचिव का मानना है कि अकादमी से उर्दू, अरबी, फारसी, परसियन सहित कई विषयों पर कम समय के कोर्स करवाए जा रहे हैं। इधर इग्रू द्वारा भी इसी तरह की गतिविधियों को संचालित किया जाता है। ऐसे में अकादमी में आने वाले स्टुडेंट्स को एक मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की तरफ ले जाने का काम अकादमी कर रही है। जबकि अकादमी सचिव के इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इग्रू के अलावा भी कई यूनिवर्सिटी से इस तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं, तो सिर्फ इग्रू को ही प्रमोट करने की अकादमी को क्या जरूरत आ पड़ी। इस बात का जवाब खुद सवाल करने वाले ही दे देते हैं, उनका कहना है कि अकादमी सचिव डॉ. हिसामुद्दीन फारुखी चूंकि इग्रू से रिटायर्ड हैं और अपने पुराने विभाग के पुराने ताल्लुकात को निभाने के लिए वे यह गतिविधियां चला रहे हैं। इधर डॉ. फारुखी का कहना है कि इग्रू को साथ जोडऩे का मकसद महज यह था कि फिलहाल बाकी यूनिवर्सिटीज में परीक्षाएं जारी हैं और इग्रू की आवेदन तारीख अंतिम दिनों में है, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
नहीं दिखी स्टुडेंटस की तादाद
मप्र उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित इग्रू कोर्स मेंं दाखिले के लिए काउंसलिंग कार्यक्रम के दौरान इक्का-दुक्का स्टुडेंट्स ही दिखाई दिए। उनमें भी उर्दू सीखने के वह चाहतमंद शामिल थे, जिन्होंने अब तक उर्दू के लिए कोई पढ़ाई नहीं की है। कार्यक्रम में आए छात्र गौरव ने बताय कि उन्हें उर्दू पढऩे-लिखने का शौक है और इसी मंशा के साथ वे इस कार्यक्रम में आए हैं कि उन्हेंं पढऩे के लिए एक नया प्लेटफार्म मिल सकता है। इसी तरह शकील खान ने कहा कि वह स्टुडेंट है और बीएड कर रहे हैं, पढ़ाई के साथ एक अतिरिक्त कोर्स का डिप्लोमा हासिल हो जाए, की तमन्ना उन्हें इस कार्यक्रम तक ले आई है।
मानू के डायरेक्टर से लेकर अखबार के सहाफी तक
कार्यक्रम में मौलाना आजाद नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर डॉ. अहसन, उर्दू अखबार के सीनियर पत्रकार आरिफ अजीज और इग्रू के उप निदेशक उमेश चंद पांडेय भी इस कार्यक्रम में शामिल थे। कार्यक्रम की रूपरेखा को देखते हुए मानू के डायरेक्टर और सहाफी की मौजूदगी भी विषय से अलग मानी जा रही है।


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