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जश्र और तमाशे नहीं, होगा उर्दू का विकास : डॉ. अजीज 

मुशायरा-कव्वालियां नहीं उर्दू ; डॉ. अजीज कुरैशी 



भोपाल ब्यूरो
पिछले 15 बरस में भाजपा सरकार और उसके बैठाए नुमाइंदों ने अकादमी का स्वरूप बदलकर रख दिया है। महज मुशायरे, कव्वालियां या जश्र मनाने से उर्दू जुबान के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। उर्दू के विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसी को लेकर प्रयास किए जाने चाहिए। पिछले शासनकाल में अकादमी का जो नुकसान हो चुका है, उसकी भरपाई करने की कोशिश की जाएगी।
मप्र उर्दू अकादमी के नए चेयरमेन डॉ. अजीज कुरैशी ने शुक्रवार को पदभार ग्रहण करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने साजिश के तहत अकादमी में गैर जानकार और उर्दू से नावाकिफ लोगों को पाबंद किया, जिसका नतीजा यह है कि यहां से होने वाले उर्दू फरोग के काम कम होते-होते खत्म होते गए। हालात यह है कि अकादमी महज मुशायरों और कव्वालियों के आयोजन तक ही सिमट कर रह गई है। उन्होंने बंद किए जा चुके राजा राममोहन राय अवार्ड को दोबारा शुरू करने का ऐलान किया। साथ ही यहां से पूर्व में होने वाले लेक्चर भी पुन: शुरू कराने की बात भी कही। डॉ. कुरैशी ने कहा कि मप्र उर्दू अकादमी इस सूबे के शायरेों-साहित्यकारों के लिए स्थापित की गई है, इसकी स्थापना के मूल स्वरूप को बरकरार करते हुए स्थानीय शायरों, अदीबों और साहित्यकारों को फायदा पहुंचाने का काम यहां से किया जाएगा। डॉ. अजीज कुरैशी के पदभार के मौके पर डॉ. युनुस फरहत, विजय तिवारी, जफर सहबाई, आरिफ अली आरिफ, बदर वास्ती समेत कई शायर और बड़ी तादाद में शहरी मौजूद थे।
किसी दुर्भावना से नहीं होगा काम
मप्र उर्दू अकादमी में हुए भ्रष्टाचार और मनमाफिक कामों को हुई जांच और इसमें दोषी पाए गए अधिकारियों को लेकर किए गए सवाल पर डॉ. अजीज कुरैशी ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ दुर्भावना के साथ काम नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो काम रुके हैं, जो काम होना हैं, जो बेहतरी के लिए किया जा सकता है, उनके लिए कोशिश करना मेरी प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने पिछले कुछ सालों से जारी जश्र-ए-उर्दू व्यवस्था को बहाल रखने की बात पर कहा कि किसी जश्र या तमाशे से उर्दू का फरोग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि महज मुशायरे या कव्वालियां कर लेना ही अकादमी की व्यवस्था को कायम नहीं रख सकता। उर्दू फरोग के लिए जो जरूरी काम हैं, उन्हीं की तरफ ध्यान दिया जाएगा। इस कोशिश में कुछ पुराने रिवाज खत्म भी हो सकते हैं और कुछ नए आयाम खड़े भी किए जा सकते हैं।
अल्पसंख्यकों की भाषा नहीं उर्दू
कुछ समय से जारी इस चर्चा पर कि मप्र उर्दू अकादमी को संस्कृति विभाग की बजाए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में हस्तांतरित किया जाएगा, पर डॉ. अजीज ने कहा कि उर्दू किसी एक मजहब या कौम की जुबान नहीं है। उन्होंने इसके अल्पसंख्यक विभाग में बदलने की बात को खारिज करते हुए कहा कि वे इस बात का सख्त विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू सभी की जुबान है और इसको संस्कृति के माध्यम से ही विकसित किया जा सकता है।

हिन्दी में कार्यवाही पर हुए नाराज
पदभार ग्रहण करने के लिए पहुंचे डॉ. अजीज कुरैशी के सामने जब हिन्दी में लिखी फाइल पेश की गई तो उन्होंने इस पर नाराजगी जाहिर की। साथ ही ताकीद की कि उर्दू में नोटशीट लिखकर लाई जाए। आनन-फानन में तैयार की गई उर्दू की तेहरीर पर उन्होंने हस्ताक्षर किए और विधिवत पदभार ग्रहण किया। इस मौके पर डॉ. कुरैशी ने इस बात का ऐलान भी किया कि वे अकादमी से किसी तरह की वित्तीय सहायता या मानदेय हासिल नहीं करेंगे। उन्होंने मासिक मानदेय, वाहन, डीजल या कर्मचारी पर होने वाले किसी भी खर्च को ग्रहण करने से इंकार कर दिया है।


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