झूमने लगे मेहमान-ए-खास, तकरीर की जगह निकल पड़ा गीत....!
-नए कलाकारों को मंच देने सजाई गई थी मेहफिल-ए-संगीत
भोपाल ब्यूरो
गीत-संगीत की अपनी अलग दुनिया, अपन अलग मिजाज और एक अलग ही रंग है। इसकी संगत में आकर संगीत से अनभिज्ञ इंसान भी थिरकने लगे और संगीत में थोड़ा भी ज्ञान रखने वाला तो खुद को झूमने से रोक ही नहीं पाता। यही हालात एक संगीत आयोजन के दौरान तब बने, जब मुख्य अतिथि को कलाकारों की हौसला अफजाई के दो लफ्ज कहने के लिए दावत दी गई। मेहमान-ए-खास ने खिसे-पिटे शब्दों का ज्ञान न परोसते हुए मेहफिल की नजाकत को मद्देनजर रखकर एक गीत की कुछ पंक्तियां गुनगुना दीं। माहौल तालियों की गडग़ड़ाहट से सराबोर हुआ तो मेहमान खुद को रोक नहीं पाए और एक शानदार गीत महफिल की नजर कर सबको गदगद कर दिया।
कार्यक्रम का आयोजन मॉं रिकार्डिंग स्टुडियो और एसके फिल्म्स शुभकामना म्युजिकल गु्रप द्वारा किया गया था। मकसद नए कलाकारों को मंच देने का था। करीब 30-34 नए कलाकारों ने मंच साझा किया और अपनी कला का प्रदर्शन किया। बदले में उन्हें लोगों की सराहना, तालियों का आशीर्वाद और आयोजकों की तरफ से शील्ड, प्रमाण-पत्र और भविष्य में उनकी कला का उपयोग किए जाने का आश्वासन मिला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बीएसएनएल के सीजीएम डॉ. महेश शुक्ला मौजूद थे। वे मंच से परे बैठकर देर तक गीतों-गजलों का लुत्फ उठाते रहे। इस दौरान उन्होंने कलाकारों के फन की दाद देने में भी कंजूसी नहीं बरती। हर धुन पर वे खुद को किसी और दुनिया में खोया हुआ पाते नजर आए। कार्यक्रम जब समापन की बेला में पहुंचा और मेहमान-ए-खास डॉ. शुक्ला को मंच से कलाकरों की हौसला अफजाई के लिए दो शब्द कहने के लिए गुजारिश की गई तो उन्होंने पुरानी फिल्म और बहुचर्चित रही फिल्म एक दूजे के लिए का गीत, ऐ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम....! गुनगुना शुरू कर दिया। मजमा तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा और इरशाद-मुकर्रर, वंस मोर के स्वर हर तरफ से सुनाई देने लगे। डॉ. शुक्ला ने सभी से इजाजत ली और अगला गीत पेश करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने जब मन्ना डे द्वारा स्वरबद्ध किया गया गीत फूल गेंदवा न मारो.... सुनाया तो हॉल तालियों से भर गया। आयोजकों ने धन्यवाद के साथ डॉ. शुक्ला से वादा किया कि वे भविष्य में इस आवाज को एक बेहतर मंच देने के लिए महफिल सजाएंगे।
सजाते रहेंगे मेहफिल
मॉं रिकार्डिंग स्टुडियो के संचालक हसीब अंसारी को राजधानी का मोहम्मद रफी कहा जाता है। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान रफी के गाए हुए कई गीत सुनाकर श्रोताओं का मनोरंजन किया। इस मौके पर एसके फिल्मस के परवेज खान और शुभकामना म्युजिकल ग्रुप की रूही नायर ने भी श्रोताओं के लिए कई गीत पेश किए। आयोजकों ने कहा कि प्रतिभाओं को उचित मौका और मंच न मिल पाने के कारण उनका दमन और समापन निश्चित है। ऐसे में हमने शहर की स्थापित और उभरती प्रतिभाओं को आगे लाने का बीड़ा उठाया है। लगातार दूसरे साल किए गए इस आयोजन की परंपरा हमेशा जारी रखने का वादा उन्होंने शहरवासियों से किया है।
हुआ पत्रकारों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान शहर के कई वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित किया गया। आयोजकों का मानना है कि सुबह से लेकर शाम तक खबरों को लपकने के लिए दौड़भाग करने वाले पत्रकारों का भी एक सामाजिक सरोकार होता है और वे भी अपनी मसरूफियत केे चंद लम्हे सुकून के चाहते हैं। इस संगीत की मेहफिल में अपनी कलम को दरकिनार रखकर उन्होंने जो सुकून और लुत्फ का आनंद लिया है, वह इनकी ऊर्जा और कार्यशक्ति को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इस मौके पर डॉ. मेहताब आलम, मोहम्मद जावेद खान, मुशाहिद सईद खान, जफर आलम खान, जुबैर कुरैशी, खान अशु, शहरोज आफरीदी, जाहिद मीर, ऋिषीकांत सक्सेना, फरहान खान, हैदर मुर्तजा, कमर गौस आदि को शॉल और शील्ड देकर सम्मानित किया गया।
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