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सेंट्रल वक्फ की टीम ने देखीं व्यवस्थाएं


सेंट्रल वक्फ की टीम ने देखीं व्यवस्थाएं, कहा : 
खाली जगहों का हो विकास, बच जाएंगी अवैध कब्जों से
भोपाल ब्यूरो
सेंट्रल वक्फ काउंसिल का मानना है कि प्रदेश और देशभर में खाली पड़ी वक्फ जमीनों के विकास की कार्ययोजना बनाई जाना चाहिए, इससे जहां वक्फ की आमदनी में बढ़ोतरी होगी, वहीं इनपर होने वाले अवैध कब्जों के मामलों से भी निजात मिल सकेगी। कौंसिल का मानना है कि वक्फ जायदाद के डिजीटलाइजेशन से इस पर निगरानी रखना आसान होगा। जीपीएस आदि का इस्तेमाल दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को किसी भी वक्फ की स्थिति पता करने की आसानी के हालात बना देगी। वक्फ के लंबित मामलों के लिए प्रचलित मामलों के निपटारों के लिए प्रदेशभर में कम से कम 4 वक्फ ट्रिब्यूनल स्थापित करने की पैरवी भी कौंसिल ने की है। साथ ही अवैध कब्जों को हटाने के लिए विभागीय अमला जुटाने की पहल करने के लिए भी प्रस्ताव दिया है।
सेंट्रल वक्फ कौंसिल की 4 सदस्यीय टीम मप्र वक्फ बोर्ड का निरीक्षण करने के लिए भोपाल आई हुई है। इस दौरान अलग-अलग बैठकों के दौरान कौंसिल सदस्यों ने जहां अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील और विभागीय सचिव रमेश थेटे से मुलाकात की है, वहीं बोर्ड दफ्तर में अलग-अलग विषयों पर जानकारी भी जुटाई है। यात्रा के आखिरी दिन प्रदेशभर के मुतवल्लियों को जमाकर उन्हें वक्फ संपत्तियों को सहेजने और इसके लिए सेंट्रल वक्फ कौंसिल की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। सेंट्रन वक्फ कौंसिल के सदस्य मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा किए जा रहे कामों से संतुष्ट नजर आई और उसने यहां की कार्यप्रणाली को दुरुस्त होने का तमगा दिया है। चार सदस्यीय टीम में डॉ. एसएस नकवी, हनीफ अली, वसीम रहताली खान, और मोहम्मद हारुन शामिल थे। 
दुनिया के हर कोने से होगी निगरानी
सेंट्रल वक्फ कौंसिल के मेम्बर एसएस नकवी ने लगातार कम होती और अवैध कब्जों से घिरती वक्फ संपत्तियों को लेकर फिक्र जाहिर की। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों को सही तरीके से सहेजा जाए और उनका उचित विकास किया जाए तो इनसे होने वाली आय की हद यह है कि वक्फ कौंसिल सरकारों को कर्ज देने की स्थिति में आ जाए। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों को कब्जों से बचाने के लिए इनपर निर्माण किया जाना एक अच्छा कदम साबित हो सकता है। इससे जहां वक्फ की आमदनी में इजाफा होगा, वहीं इनपर होने वाले कब्जों की स्थिति से भी छुटकारा मिलेगा। उन्होंने कहा कि देशभर की वक्फ संपत्तियों के डिजीटलाईजशन का अभियान चलाया गया है, इससे पोर्टल के माध्यम से दुनियाभर के हर कोने से वक्फ की निगरानी संभव हो सकेगी। उन्होंने वक्फ मामलों के निराकरण में होन वाली देरी को लेकर कहा कि कौंसिल के सदस्यों ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव रमेश थेटे से मुलाकात की है और उन्हें प्रदेश के चारों बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में वक्फ ट्रिब्यूनल स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा अवैध कब्जों को हटाने के लिए जिला प्रशासन से मिलने वाली मदद में होने वाली देरी पर भी चिंता करते हुए उन्होंने इसके लिए अलग से अमला तैयार करने की बात कही है।
वक्फ कब्जों के लिए हुकुमतें दोषी
चार सदस्यीय टीम के एक सदस्य हनीफ अली ने कहा कि देशभर की वक्फ संपत्तियों का 80 फीसदी हिस्सा अवैध कब्जों की जद में है। उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों के खुर्द-बुर्द होने के लिए हुकुमतें जिम्मेदार हैं। हनीफ ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण के केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी वक्फ जायदादों की हिफाजत के लिए फिक्रमंद हैं और उनकी मंशा है कि कब्जों से बाकी बची संपत्तियों पर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज आदि का निर्माण कर इससे आमदनी और लोगों की भलाई के रास्ते पैदा किए जाएं। हनीफ ने कहा कि इसी फिक्र को लेकर सेंट्रल वक्फ कौंसिल देश के सभी प्रदेशों में पहुंचकर वक्फ बोर्डों से संपर्क कर रही है और वहां की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मुहिम चला रही है।
56 बरस में पहली बार हुई फिक्र
मप्र वक्फ बोर्ड के प्रशासक निसार अहमद का मानना है कि 1964 से वजूद में आए सेंट्रल वक्फ कौंसिल ने पहली बार वक्फ संपत्तियों को लेकर गंभीर रुख अपनाय है। उन्होंने कहा कि करीब 56 बरस के कार्यकाल में पहली बार कौंसिल ने प्रदेश वक्फ बोर्डों की तरफ जाने की पहल की है। उन्होंने कहा कि इससे जहां बोर्डों को अपनी कार्यप्रणाली सुधार का मौका मिलेगा, वहीं सेंट्रल वक्फ कौंसिल की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी मिलेगी। निसार अहमद ने कहा कि मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा यहां की संपत्तियों के विकास के कई प्रस्ताव कौंसिल को भेजे गए हैं। कौंसिल से कर्ज लेकर प्रदेश की विभिन्न वक्फ संपत्तियों के विकास की योजनाओं को मूर्तरूप देन की कोशिश की जाएगी।


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