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शहरवासियों ने कहा, हम स्थापित करेंगे इकबाल का नाम

कचरे में मिला इकबाल का बोर्ड, नाराज शहरवासियों ने कहा, हम स्थापित करेंगे इकबाल का नाम
भोपाल। राजधानी की पहचान माने जाने वाले इकबाल मैदान से दुनिया के महबूब शायर अल्लामा इकबाल का नाम अलग करने की भाजपाई परिषद की मानसिकता की पोल एक तस्वीर ने खोलकर रख दी है। पहले बोर्ड हटाए जाने से अनभिज्ञता जाहिर करने और बाद में रिपेयरिंग के नाम पर बोर्ड हटाने की बात कहने वाले निगम परिषद ने बोर्ड को सारे शहर से उठाकर ले जाए जाने वाले कचरे के बीच जगह दी है। नगर निगम के इस कुत्सित प्रयास की शहरभर में आलोचना भी हो रही है और लोगों में उसके इस व्यवहार को लेकर गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। अब शहर की कुछ संस्थाओं ने इकबाल का नाम दोबारा स्थापित करने के लिए खुद ही बीड़ा उठाया है। 
कुछ दिनों पहले इकबाल मैदान से यहां बरसों से लगे हुए बोर्ड को अचानक हटा दिए जाने की बात सामने आई थी। इकबाल मैदान के दोनों सिरों पर उर्दू और हिंदी में लिखे इकबाल मैदान का बोर्ड लगा हुआ था। लेकिन अचानक इस बोर्ड को यहां से हटा दिया गया। ये काम ऐन उस वक्त किया गया, जब इस मैदान पर  अन्य तीन दिनी आयोजन शुरू होने वाला था। इसको लेकर यह कयास लगाए जाने लगे कि शहर के मुस्लिम और नवाबकालीन नामों को बदलने में लगे नगर निगम द्वारा इकबाल मैदान को भी नया नाम देने की तैयारी है।  



कचरे में मिला बोर्ड
इकबाल मैदान से बोर्ड हटाए जाने के बारे में निगम अधिकारी-कर्मचारी लगातार इस बात को दोहराते रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, न ही उन्होंने इस बोर्ड को हटाया है। हालांकि बाद में निगमायुक्त बी विजय दत्ता ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा था कि नगर निगम ने बोर्ड की मरम्मत के लिए उसे हटाया है। उन्होंने कहा था कि जल्दी ही बोर्ड को नया रंग-रोगन कर पुन: इकबाल मैदान पर लगाया जाएगा। लेकिन जमीयत उलेमा हिन्द की प्रदेश इकाई के सदस्यों हाजी मोहम्मद इमरान हारून हाफिज ईस्माइल बैग, मुजाहिद मोहम्मद खान ने इस बोर्ड को नगर निगम के डंपिंग यार्ड में शिनाख्त कर लिया है। शहरभर से उठाकर लाए जाने वाले कचरे और कबाड़ सामान के बीच पड़े इकबाल मैदान के बोर्ड को लेकर फिलहाल निगम के पास कोई माकूल जवाब मौजूद नहीं है।
अब जमीयत लगाएगी नया बोर्ड
जमीयत उलेमा हिन्द के प्रदेश प्रेस सचिव हाजी इमरान हारून ने कहा कि इकबाल का कौमी तराना दुनियाभर में हिन्दुस्तान की पहचान रखता है। सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा... कहने वाले शायर अल्लामा इकबाल का शहर से गहरा ताल्लुक रहा है। उनके कई शागिर्द इस शहर में मौजूद हैं, उनकी भोपाल से जुड़ी यादों के चलते ही उनके नाम पर यहां एक सरकारी अवार्ड का नाम किया गया है, जबकि इकबाल के नाम पर एक लाइब्रेरी और यह मैदान मौजूद है। हाजी इमरान ने कहा कि करीब 35 बरस पुराना इतिहास लिए खड़े इकबाल मैदान से दुनिया के महबूब शायर का नाम अलग कर दिया जाना भाजपा परिषद की गंदी मानसिकता का परिचायक है। साथ ही यह शहर की विरासत से खिलवाड़ करने वाला कदम भी है। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा बोर्ड हटाए जाने के पीछे जो भी मंशा हो, लेकिन शहर की अवाम इस गलती को सुधार करते हुए यहां फिर से व्यवस्थित और आकर्षक साइन बोर्ड स्थापित करेगी। हाजी इमरान ने कहा कि इकबाल मैदान की बदहाली और इसकी विलुप्त होती पहचान को बचाने के लिए जमीयत उलमा ने पहले भी अभियान चलाया था, यह सिलसिला आगे भी बरकरार रहेगा। और जमीअत उलमा दुवारा इक़बाल की पहचान को बरकऱार रखने में कसर नही छोड़ी जाएगी
इकबाल का भोपाल से रिश्ता
दुनियाभर के मकबूल शायर अल्लामा इकबाल का भोपाल से गहरा नाता रहा है। वे जब भी यहां आते थे तो शीश महल में उनका कयाम हुआ करता था। इसी बीच वे अक्सर सुबह के वक्त पास ही स्थित खिरनी वाला मैदान (अब इकबाल मैदान) में टहला करते थे। यहां उन्होंने अपनी कई गजलें और नज्में लिखी हैं। इकबाल को भोपाल की सुबह और यहां हर सिम्त से आने वाली अजानों की आवाजें बहुत पसंद थीं। सन 1937 में उनका इंतकाल हुआ और उस समय अविभाजित भारत के लाहौर में दफनाए गए थे। लेकिन उनकी भोपाल से मुहब्बत के चलते 1984 में अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में इकबाल मैदान की नींव रखी गई। इस दौरान नगर निगम आयुक्त देवीशरण थे और बीडीए चैयरमेन ममनून हुसैन। भारत भवन की कल्पना को साकार करने वाले स्वामी नाथन ने इकबाल मैदान के लिए खास डिजाइन तैयार किया था और इकबाल के पसंदीदा पक्षी शाइन को यहां स्थापित करने की परिकल्पना की थी। कई सियासी, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का गवाह होने के चलते इकबाल मैदान का नाम शहर ही नहीं बल्कि पूरे सूबे और देशभर में जाना जाता है।


इनका कहना
इकबाल मैदान का बोर्ड डंपिंग यार्ड में क्षत-विक्षप्त हालात में मिलने की बात जानकारी में आई है। इस बारे में निगम कमिश्रर से भी बात की जाएगी। जल्दी ही इस बोर्ड के स्थान पर नया और खूबसूरत बोर्ड स्थापित किया जाएगा। शहर की किसी विरासत और पहचान को किसी सियासी नजरिये से आंच नहीं आने दी जाएगी।


 


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