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अकीदत से याद किए गए मौलाना आजाद

अकीदत से याद किए गए मौलाना आजाद


 



भोपाल ब्यूरो
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना अब्दुल कलाम आजाद मरहूम की यौमे वफ़ात के मौके पर जमीअत उलमा मध्यप्रदेश के ज़िम्मेदारों ने खिराजे अक़ीदत पेश की। इस मौके पर जमीअत उलमा मध्यप्रदेश के प्रेस सचिव हाजी मोहम्मद इमरान हारून ने कहा कि हम खुद इन मुजाहिदीन को भूले बैठे हैं, जिनको समय- समय पर याद करना और उनकी कुर्बानियों को आमजन तक पहुंचाना समय की बड़ी जरूरत है। आज तमाम सरकारी और गैर सरकारी महकमे इन मुजाहिदीन को भुलाए बैठे हैं, ऐसे में आने वाली नस्लो से इनका जीवन परिचय कैसे होगा? हाजी इमरान, मोहम्मद कलीम एडवोकेट, मुजाहिद मोहम्मद खान, मुफ़्ती मोहम्मद राफे आदि ने उनके जीवन परिचय पर रोशनी डालते हुए कहा कि धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे। वे 1940-45 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था, कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे। स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना उनके सबसे अविस्मरणीय कार्यों में से एक था।


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