दादी-नानी के नुस्खों वाली यूनानी चिकित्सा आज भी कारगर : डॉ साधौ
-यूनानी वर्ल्ड दे के कार्यक्रम में शामिल हुईं आयुष मंत्री, जनसम्पर्क मंत्री ने भी की शिरकत, मसूद ने दिल्ली से भेजा सन्देश
भोपाल ब्यूरो
चिकित्सा क्षेत्र में हम कितने भी आगे बढ़ जाएं और तमाम सुविधाओं के बीच इलाज को आसान महसूस कर रहे हों, लेकिन दादी-नानी के घरेलू नुस्खे आज भी असर रखते हैं और इससे लोग लाभान्वित होते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति हमारे पूर्वजों की देन हैं, इस विरासत को सहेजना हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
आयुष मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने ये बात गुरुवार को राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं। वर्ल्ड यूनानी डे के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान मंत्री साधौ ने कहा कि इस समाज की जिम्मेदारी है कि वह आज की नई पीढ़ी को बीते हुए कल की बातें बताए और उसका महत्व भी समझाए। डॉ साधौ ने युवाओं से आह्वान किया कि वे रोजगार मूलक पाठ्यक्रम की तरफ बढ़ें और अपनी भविष्य की राह तय करें। उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री के स्पष्ट विजन और लक्ष्य की बात करते हुए कहा कि ये विजन की सरकार है, सिर्फ टेलीविजन पर नहीं दिखती, बल्कि धरातल पर काम करके दिखाने में विश्वास रखती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि यूनानी चिकित्सा देश की बेसिक पध्दति है, इसे सहेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा के लिए काम कर रहे लोगों की सुविधाओं और जरूरतों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे संजीवनी क्लीनिक में यूनानी चिकित्सकों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जाएगा। कार्यक्रम में मेहमान के तौर पर बुलाए गए विधायक दिल्ली यात्रा के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने अपना सन्देश भेजकर आयोजकों को कार्यक्रम की मुबारकबाद दी।
मंच से उठीं कई मांग
कार्यक्रम का आयोजन यूनानी ऑफिसर्स एसोसिएशन, मप्र यूनानी मेडिकल प्रोफेशनल एसोसिएशन, मप्र ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में मौजूद विभागीय मंत्री डॉ साधौ औऱ विभागीय सचिव एवं आयुक्त एमके अग्रवाल के समक्ष कई मांगे रखी गईं, जिन्हें दोनों ने शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया है। इन मांगों में आयुष जिलाधिकारी के पद को आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की पदोन्नति से भरने की बजाए यूनानी चिकित्सक को मौका दिए जाने, चिकित्सालयों का नाम आयुष के नाम पर करने और इनमें सभी पैथी का इलाज एकसाथ करने, राजधानी में बीयूएमएस की स्नातकोत्तर शिक्षा शुरू करने, सहायक संचालक के एक पद की बजाए दो किए जाकर इसमें यूनानी चिकित्सा को शामिल करने, भर्ती नियम में संशोधन करने, CHO के पद पर BUMS पदों का सृजन किए जाने, हर्बल गार्डन विकसित किए जाने आदि की मांग शामिल थीं।
स्थापित किए कई नए अवार्ड
वर्ल्ड यूनानी चिकित्सा डे के मौके पर इसके संस्थापक हकीम अजमल खान को याद करते हुए एक सेमिनार का आयोजन किया गया हो। दो सत्रों में हुए इस सेमिनार में विषय के जानकारों ने अपनी बात रखी। इस मौके पर इसी साल से स्थापित किए गए हकीम अजमल अवार्ड, हकीम सैयद अवार्ड, हकीम मुजीबुर्रहमान अवार्ड, अख्तर मेमोरियल अवार्ड, हकीम कौसर चांदपुरी अवार्ड से कई लोगों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर शहर के चुनिंदा पत्रकारों का सम्मान भी किया गया। इनमें डॉ मेहताब आलम, मुशाहिद सईद खान, ज़फर आलम खान, शाहिद कामिल, खान अशु, वसीम सिद्दीकी, मोहम्मद सलमान, असद नदवी, अलतमश जलाल आदि शामिल थे।
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