मेंहदी से उकेरीं भावनाएं, रंगोली से निराखी संस्कृति
भोपाल ब्यूरो
महज किताबी ज्ञान और नंबरों की दौड़ ही बेहतर तालीम का पैमाना नहीं है। असल कामयाबी अपने समाज के लिए दिए गए योगदान, खुद के लिए निकाले गए समय और अपने अंदर छिपी प्रतिभा से लोगों के लिए फायदों की तहरीर है। हाड़तोड़ प्रतिस्पर्धा के इस युग में स्टुडेंट्स अपने परंपरागत खेलों और संस्कृति को भूल चुका है। ऐसे में वार्षिकोत्सव के बहाने साल में एक बार इन विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति के करीब ले जाने, शारीरिक व्यायाम का महत्व समझाने और मनोरंजन के दो पल जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह कोशिश न सिर्फ विद्यार्थियों के यादगार पलों में शामिल करने का बायस बनेगी, बल्कि शिक्षकों और गैर शैक्षणिक स्टॉफ के लिए भी चंद पल सुकून के लाने की दलील बन गई है।
राजधानी के शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में जारी वार्षिक स्नेह सम्मेलन की शुरूआत के मौके पर यहां के प्राचार्य चन्द्रशेखर गोस्वामी ने यह बात कही। करीब एक सप्ताह चलने वाले वार्षिक स्नेह सम्मेलन में ऐसे परंपरागत खेलों और विद्याओं को प्रतियोगिता के रूप में शामिल किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति और भुलाए जा चुके खेलों की तरफ आकर्षित कर सके। कार्यक्रम को अनन्या 2020 नाम दिया गया है। जिसके तहत होने वाले आयोजनों का समापन 8 फरवरी को किया जाएगा।
आयोजनों की लंबी श्रृंखला
करीब एक सप्ताह जारी रहने वाले इस आयोजन के दौरान मुखौटा पेंटिंग, पुष्प सज्जा, सलाद सज्जा, अनुपयोगी वस्तुओं का सदुपयोग, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, रचनात्मक लेखन, थाल सज्जा, तोरण द्वार, मेहंदी, कलश सज्जा, रंगोली, समूह नृत्य, केश सज्जा, स्वरचित कविता पाठ, सर्वगुणी अनन्या, वाद-विवाद प्रतियोगिता, एकल और समूह गायन, नाटक, प्रांतीय वेशभूषा, कव्वाली, प्रश्र मंच, तात्कालिक भाषण, एकल नृत्य, पोस्टर निर्माण आदि प्रतियोगिताआों को शामिल किया गया है। जिनमें छात्राएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। वार्षिकोत्सव को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए महाविद्यालय की टीम में डॉ. विजया शर्मा, डॉ. सुजाता मेहता, डॉ. बिल्किस जहां, डॉ. पीयूष भटनागर, डॉ. अरुण सिंह, डॉ. लता आफरीदी, डॉ. यशवीर सिंह पंवार और सहदेव सिंह मरकाम को शामिल किया गया है। कैसे जुटाते हैं अभिभावक हमारी पॉकेट मनी!
सप्ताह भर के आयोजन के दौरान समापन वाले दिन 8 फरवरी को एमएलबी कॉलेज परिसर में एक मेला आयोजित किया जाएगा। इस मेले में खानपान से लेकर सौंदर्य और सजावट की विभिन्न वस्तुओं की खरीदी-बिक्री की जाएगी। इस मेले की अवधारणा इस विचार के साथ की गई है कि यहां बिक्री किए जाने वाले सभी प्रोडक्ट स्टुडेंट्स खुद ही तैयार करेंगे। इसके पीछे इस मानसिकता को जोड़ा गया है कि अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से लेकर उनके शौक पूरा करने के लिए किस तरह मेहनत कर पैसा कमाते हैं। बच्चों में पैसा कमाने की लालसा और उसमें लगने वाली मेहनत के तालमेल को समझाने के लिए इस मेले का आयोजन किया जा रहा है।
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