मुस्लिम भाजपाईयों को लगने लगा कौम का पलड़ा भारी, कुछ अब भी उम्मीद से बंधे
भोपाल ब्यूरो
बात उसूलों, आस्थाओं और कौम में से चयन करने की आती है तो अक्सर कौम के लिए समर्पण और अकीदा जीत जाता है। कुछ पार्टी की रीति-नीति से प्रभावित और कुछ अपनी सियासी कुंठाओं और मंशाओं को लेकर भाजपा से जुड़े मुस्लिम नेता अपने घरों को लौटने लगे हैं। पार्टी द्वारा कौम और देश के लिए किए गए एक गलत फैसले ने उन्हें समाज में बने रहने के लिए पार्टी से दूर रहना ही ज्यादा मुनासिब लगने लगा है। हालांकि अब भी कई मुस्लिम भाजपाई इस भंवर में डांवाडोल नजर आ रहे हैं। पार्टी के गलत को सच साबित करने में वे अब भी लगे हुए दिखाई दे रहे हैं।
इंदौर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके खजराना से दो बार पार्षद रहे उस्मान पटेल करीब 40 साल से भाजपा की सियासत कर रहे थे। एनआरसी-सीएए को लेकर दो धड़ों में बंटी विचारधारा और पार्टी के इस फैसले के साथ मुस्लिम समाज के बीच रह पाना उस्मान को गैर मुनासिब लगने लगा। उन्होंने निगम परिषद के कार्यकाल खत्म होने से एक पखवाड़े पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंंने भाजपा से जुड़े सभी पदों से इस्तीफा देने का ऐलान भी कर दिया है। हालांकि इस बात को रेखांकित किया जाना उचित होगा कि पांच साल की पार्षदी के बाद ऐन कार्यकाल समाप्ति पर उनका पद से इस्तीफा देना लोगों को किसी योजना का हिस्सा लग रहा है। लेकिन साथ ही पार्टी की आस्थाओं से खुद को आजाद कर लिया जाना उस्मान पटेल की घर वापसी का घोतक कहा जा सकता है।
शुरूआत राजधानी से हुई
भाजपा की रीति-नीतियों से बंधे मुस्लिम नेताओं की घर वापसी का सिलसिला राजधानी से ही हुआ है। भाजपा के पुराने कार्यकर्ता, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अभिन्न मित्र और मसाजिद कमेटी तथा मप्र मदरसा बोर्ड में उच्च पदों पर आसीन रहे अब्दुल हकीम कुरैशी ने इसकी शुरूआत की। उन्होंने सबसे पहले भाजपा की सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफे का ऐलान किया। नतीजा यह हुआ कि उनके पीछे भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की एक बड़ी टोली इस्तीफा देने वालों में शामिल होती गई। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता जावेद बेग के बाद जिले की टीम से उपाध्यक्ष आदिल खान ने इस्तीफा दिया और इनके पीछे करीब डेढ़ दर्जन लोगों ने एकसाथ भाजपा का दामन छोड़ दिया। सिलसिला शुरू हुआ तो इंदौर, खरगोन सहित प्रदेशभर में मुस्लिम भाजपाई पार्टी का साथ छोड़ते गए और प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा एक खाली मैदान जैसा दिखाई देने लगा है।
अध्यक्ष के शहर में भी नहीं बचा मान
प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटेल का अध्यक्षीय कार्यकाल वैसे ही पिछले कार्यकालों से काफी लचर माना जाता है। ऐसे में प्रदेशभर से चला इस्तीफों का दौर डॉ. पटेल मैनेज नहीं कर पाए। उनके पास देने के लिए माकूल जवाब की कमी ने मोर्चा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने में पूरी तरह से अक्षम रहा। हालात यहां तक भी पहुंचे कि उनके अपने शहर उज्जैन में भी बड़ी तादाद में अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने एकसाथ अपने पदों से इस्तीफे दे दिए हैं।
मुश्किल बड़ी, कौम को देखें या पार्टी
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों के सामने बड़ी समस्या एनआरसी-सीएए को लेकर बनी स्थिति से है। जहां देशभर में इस काले कानून का विरोध किया जा रहा है, वहीं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के कंधे पर बंदूक रखकर मुस्लिम समाज में इस कानून की बेहतरी समझाने की योजना पर काम कर रहा है। मुस्लिम समुदाय को इस कानून के समर्थन में खड़ा करने के लिए उनके घर-घर जाकर समझाईश देने की तैयारी की गई है। इसके लिए उर्दू लिपि में कुछ पर्चे भी प्रिंट करवाए गए हैं, जिनके जरिये मुस्लिम समुदाय को एनआरसी और सीएए उनके विरोध में नहीं है, समझाने की कोशिश की जाने वाली है। यह काम करने के लिए मुस्लिम भाजपाईयों को जिम्मेदारी दी जा रही है। इसी स्थिति को लेकर अल्पसंख्यक मोर्चा पदाधिकारी पसोपेश में हैं कि वे अपनी ही कौम के उन लोगों के सामने किस तरह पेश हो सकते हैं, जो इस कानून के विरोध में खड़े हुए हैं। समझाइश की इस कोशिश में उनके साथ बदसुलूकी और मारपीट होने के अंदेशे भी बने हुए हैं। पिछले दिनों मप्र हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हाजी इनायत हुसैन कुरैशी का वायरल वीडियो इसी बात को रेखांकित करता नजर आ रहा है। जिसमें मुस्लिम समाज के ही कुछ लोगों द्वारा उनपर कालिख लगाए जाने और चप्पट पिटाई करने के नजारे दिखाई दे रहे हैं। हालांकि इस वीडियो को लेकर खंडन भी किया जा चुका है कि यह मामला एनआरसी-सीएए को लेकर नहीं है।
इधर कुछ की आस्थाएं बरकरार
आरएसएस की मुस्लिम विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक एसके मुद्दीन देश में मौजूदा हालात को कांग्रेस द्वारा फैलाए गए भ्रम से जोड़ते हैं। वे कहते हैं कि कानून की गलत व्याख्या कर लोगों को भड़काया जा रहा है और उनके सहारे अपनी सियासत को बरकरार रखने की कोशिश की जा रही है। मुद्दीन जबलपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में एनआरसी-सीएए के पक्ष की रैलियां और कमरा मीटिंगों में व्यस्त हैं। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हिदायतुल्लाह शेख का मानना है कि देश में आने वाले लोगों के लिए बनाए गए कानून को देश निकाला देने की बात फैलाकर बदनाम किया जा रहा है। उनका मानना है कि इस कानून से मुस्लिम समाज को कोई खतरा नहीं है, जो यहां के नागरिक हैं, वे हमेशा यहीं रहने वाले हैं, उनको कहीं जाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। इधर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटेल इस मामले में खामोशी इख्तियार किए हुए हैं, कम बोलने के साथ वे गुपचुप एनआरसी-सीएए समर्थन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। राजधानी भोपाल में मोर्चा जिलाध्यक्ष एम एजाज समेत अधिकांश पदाधिकारी पर्दे से गायब हैं। न यह समर्थन रैली में दिखाई दे रहे हैं और न ही किसी विरोध सभा का हिस्सा बन रहे हैं।
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