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मसाजिद कमेटी ने जारी की पुस्तक, निकाह-तलाक से जुड़ी जरूरी बातें शामिल


'कुबूल' से पहले समझ लें 'निकाह' की खूबसूरती, 'तलाक' का काला चेहरा
-मसाजिद कमेटी ने जारी की पुस्तक, निकाह-तलाक से जुड़ी जरूरी बातें शामिल 
भोपाल ब्यूरो
मजहब-ए-इस्लाम में दीगर जरूरी शर्तों में बालिग मर्द-औरत के लिए निकाह की अहमियत रखी गई है। निकाह जितना खूबसूरत लफ्ज है, तलाक उतनी ही बदशक्ल चीज है। इस्लाम के आईने में इन दोनों से जुड़ी जरूरी बातें समझना बहुत जरूरी है और इसका इल्म निकाह से पहले ही होना चाहिए।
काजी-ए-शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी ने ये बात कहीं। वे मंगलवार को मसाजिद कमेटी कार्यालय में 'निकाह और तलाक से मुताल्लिक जरूरी बातें' पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। शहर मुफ्ती अबुल कलाम, मसाजिद कमेटी के अध्यक्ष हाफिज अब्दुल हफीज, सदस्य आरिफ अजीज, मोहम्मद माहिर आदि भी कार्यक्रम में मौजूद थे। मसाजिद कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि निकाह रजिस्ट्रेशन के समय दूल्हा-दुल्हन को ये पुस्तक वितरित की जाएंगी ताकि वे शादीशुदा जिंदगी के मकसद, उसमें अपनाई जाने वाली शरई बातें और शौहर-बीवी के लिए एक-दूसरे के अधिकार-कर्तव्य समझ सकें। उन्होंने बताया कि मसाजिद कमेटी से हर साल करीब 4 हजार शादियां होती हैं। जबकि सालभर में करीब 400 तलाक के मामले भी पेश आते हैं। बेहतर तरीके से समझाइश के साथ हुए निकाह और शादी के बाद तलाक के हालात कम से कम बनें, इसके लिए लगातार कोशिश की जा रही है। इसके लिए काजी-मुफ़्ती और दीगर उलेमा ऐसे लोगों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं, जो तलाक आवेदन लेकर काज़ियात दफ्तर पँहुचते हैं।


क्या है पुस्तक में
मसाजिद कमेटी द्वारा जारी की पुस्तक में निकाह और तलाक से सम्बंधित जरूरी बातों के अलावा मेहर, दहेज, वलीमा आदि को लेकर भी शरई जानकारी दी गई हैं। इसके अलावा महंगी शादियों से गुरेज करने, फिजूल की रस्मों से बचने, दिखावे के बड़े आयोजन करने, बैंड-बाजा, डीजे-आर्केस्ट्रा के इस्तेमाल को रोकने की ताकीद भी की गई है।



मसाजिद कमेटी ने खड़े किए नए आयाम
कमेटी सचिव एसएम सलमान ने बताया कि मौजूदा कमेटी ने अपने कार्यकाल में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। निकाह रजिस्ट्रेशन की ऑनलाइन सुविधा, बाहर से आये लोगों को नमाज़ के वक्त की जानकारी देने वाले नमाज खबरी एप्प, अजान की गलतियों को सुधारने के लिए मोअज़्ज़िन हज़रात की कार्यशाला, ईमाम-मोअज़्ज़िन की अंजुमन आदि बड़े काम इसमें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस कमेटी के कार्यकाल में ही ईमाम और मोअज़्ज़िन की लम्बे समय से रुकी हुई वेतन वृद्धि की मांग भी पूरी हो सकी है। साथ ही मसाजिद कमेटी कार्यालय पर किए गए बड़े हॉल के निर्माण से भी भी छोटे-बड़े कई आयोजन की राह आसान हुई है।


तैयारी मसाजिद बोर्ड की 
नवाब हमीद उल्लाह खान की कोशिशों से वजूद में आई मसाजिद कमेटी का दायरा फिलहाल भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले तक सीमित है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील ने इस कमेटी का विस्तार कर इसे बोर्ड के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। बोर्ड गठन के बाद प्रदेश भर की मस्जिदों के ईमाम-मोअज़्ज़िन के वेतन, मस्जिदों की देखरेख, उनके नवीनीकरण, जीर्णोद्धार आदि के काम आसान हो सकेंगे।


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