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-सीएए-एनआरसी को लेकर गजलों से निकल रही नाराजगी
भोपाल ब्यूरो
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में मचे बवाल के बीच शायरों और साहित्यकारों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल तक में इन दिनों धरने, प्रदर्शन और विरोध सभाओं के बीच मुशायरों का आयोजन हो रहा है। जिनमें प्रदेश के दो मुख्य शायरों ने मोर्चा संभाल रखा है। अंतर्राष्ट्रीय शायर डॉ. राहत इंदौरी और मंजर भोपाली अपने इस अभियान को शनिवार को हैदराबाद में जारी रखे हुए हैं। दोनों शायरों की बरसों पुरानी गजलों और नजमों में इस काले कानून से लेकर देश की अस्थिरता का जिक्र शामिल है। इंकलाबी शायरों में शुमार हो चुके इन दोनों शायरों ने मंचों को अदबी जुबान का इंकबाल मैदान बना दिया है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ इंदौर के बड़वाली चौकी पर पिछले 25 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी पहुंचे। आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए राहत ने कहा कि कोई भी शरीफ आदमी चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हो, वह इस कानून से इत्तेफाक नहीं रखता। पीएम मोदी के संसद में एनआरसी पर दिए उद्बोधन पर वे बोले कि हमें तो यही पता नहीं है कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं या अमित शाह। केरल में एक नेता के वायरल ऑडियो, जिसमें वह कह रहे हैं कि उर्दू का शायर डॉ. राहत इंदौरी जेहादी है, पर उन्होंने जवाब दिया कि मैं 77 साल का हो गया हूं, मुझे अभी तक मालूम नहीं पड़ा कि मैं जेहादी हो गया हूं।
मंजर ने की भोपाल सत्याग्रह से शुरूआत
अंतर्राष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली ने राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में एक जनवरी से शुरू हुए सत्याग्रह से सीएए-एनआरसी विरोधी गजलों की शुरूआत की थी। उनकी मौजूदगी में विजय तिवारी, जफर सहबाई, डॉ. युनूस फरहत, आरिफ अली आरिफ, जिया फारुखी, नूह आलम आदि ने भी काले कानून के खिलाफ अपनी गजलों और शेरों से विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद इसी मैदान पर महिला शायरों का मुशायरा और कवि सम्मेलन भी आयोजित हो चुका है।
राहत-मंजर देशभर में मकबूल
अपनी खास शैली और जोशीले अंदाज के साथ तल्ख शायरी का हुनर रखने वाले डॉ. राहत इंदौरी और मंजर भोपाली इन दिनों देशभर में मुशायरों में इंकलाबी अशआर पढ़ते नजर आ रहे हैं। इंदौर, भोपाल, देवास, उज्जैन के अलावा वे दिल्ली, हैदराबाद, पटना सहित देशभर के मंच साझा कर रहे हैं। इस बीच डॉ. राहत इंदौरी की विरासत कहे जाने वाले उनके बेटे सतलज राहत भी अपनी ताजा गजलों के साथ इन मंचों पर पहुंच रहे हैं। मैं भी गांधी, आ मुझे गोली मार.... जैसी गजल से सतलज ने भी सीएए-एनआरसी विरोध को आगे बढ़ाया है।
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