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ताज केंपस पहुंचने वाले पहले सीएम बने कमलनाथ

ताज केंपस पहुंचने वाले पहले सीएम बने कमलनाथ
खान अशु
भोपाल। करीब सत्तर साल के हो चले सूबे मप्र के इतिहास में ये पहला मौका कहा जा सकता है, जब प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने ताज केंपस में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। राजधानी में ही मौजूदगी और दर्जनों कार्यक्रमों के लिए शहर भ्रमण करने वाले किसी मुख्यमंत्री की इस तरफ  नजर न होने की किवदंती को मुख्मंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को तोड़ दिया। वे यहां मसजिद कमेटी के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। ताज केंपस में अरबों रुपए की जायदाद वाले मप्र वक्फ बोर्ड का दफ्तर है तो अकीदत के सफर को पूरा करवाने वाली मप्र हज कमेटी का कार्यालय भी मौजूद है। इसी केंपस में भोपाल रियासत की मस्जिदों की देखरेख करने वाले मसाजिद कमेटी का कार्यालय, जिला मुतवल्ली कमेटी का कार्यालय और जकात फाउंडेशन ऑफ  इंडिया का कोचिंग सेंटर भी मौजूद है। एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजुल मसजिद के करीब स्थित इस ताज केंपस में समय समय पर मंत्री, विधायक, नेताओं की आवाजाही लगी रही है लेकिन अब तक यहां कोई मुख्यमंत्री नहीं पहुंचा था।
करीब आकर निकल गए थे नाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ इससे पहले पिछले साल हज कुर्रा के वक्त ताजुल मसाजिद आए थे। उस दौरान उन्होंने ताजुल मसाजिद से प्रदेश के हाजियों का ऑनलाइन कुर्रा किया था। इससे पहले भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हज कमेटी के कार्यक्रम में शरीक हो चुके हैं। लेकिन उनकी आमद सिंगारचोली स्थित हज हाउस पर हुई थी। इनके अलावा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अंतर सिंह आर्य, ललिता यादव भी कई कार्यक्रमों के दौरान ताज कैम्पस तक भी आए हैं। लेकिन अब तक किसी मुख्यमंत्री के यहां आने का मौका नहीं आया था। 

भाजपा नेताओं की रही वक्फ कैम्पस पर खास नजर
भाजपा शासनकाल में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे अजय विश्रोई का वक्फ मामलों से गहरा लगाव था। अपनी इसी रुचि के कारण उन्होंने अपने कार्यकाल में वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के रूप में अपने चहेते शौकत मोहम्मद खान को काबिज करवाया था। भाजपा शासनकाल में प्रदेश के उन सभी बड़े शहरों, जहां बड़ी संख्या में वक्फ जायदाद मौजूद है, भाजपा नेताओं का वक्फ से लगाव रहा है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से लेकर वरिष्ठ सांसद कृष्ण मुरारी मोघे तक और प्रदेश भाजपाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान तक अपने चहेतों के काम के लिए वक्फ बोर्ड कार्यालय के फोन खडख़ड़ाते रहे हैं। लेकिन इनमें से कम ही लोगों ने वक्फ बोर्ड परिसर ताज कैम्पस में अपना कदम रखा है।


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