मप्र उर्दू अकादमी : बनाम रिश्ते निभाने की कमेटी
(भोपाल ब्यूरो
मान मुरादों के साथ वजूद में आई मप्र उर्दू अकादमी में अब शामिल किए गए सदस्यों को लेकर नाराजगी का डंका बजता सुनाई देने लगा है। सियासी अध्यक्ष ने गैर उर्दू जानकारों और प्रदेश के बाहर के लोगों का कुनबा बनाकर नया विवाद शुरू कर दिया है। इस कार्यकारिणी को लेकर अदबी हलकों में नाराजगी पसरने लगी है।
मप्र उर्दू अकादमी में हाल ही में अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस के बुजुर्ग नेता और तीन राज्यों में राज्यपाल रह चुके डॉ अजीज कुरैशी की नियुक्ति की गई है। उनकी नियुक्ति को सियासी हलकों में कांग्रेस की कूटनीति माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस माह के अंत में होने वाले राज्यसभा के नॉमिनेशन में डॉ अजीज कुरैशी की दावेदारी को रोकने के लिए उन्हें आनन फानन में अकादमी की माला पहना दी गई है। उनकी इस नियुक्ति को उनका डिमोशन करार देते हुए कांग्रेस का बाबूलाल गौर भी निरूपित किया जा रहा है। जिस तरह स्व गौर ने सीएम की कुर्सी के बाद मंत्री पद स्वीकार कर लिया था, उसी तरह कुरैशी ने राज्यपाल जैसे पद पर सेवाएं देने के बाद उर्दू अकादमी जैसे छोटे इदारे की अध्यक्षता करना कुबूल कर लिया है।
अब चापलूस टीम ने बनवा दी लचर कार्यकारिणी
एक दिन पहले घोषित की गई अकादमी की कार्यकारिणी में ज्यादातर ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जिनका न तो उर्दू से ताल्लुक है और न प्रदेश में ही इनकी कोई ख़िदमात हैं। कुछ ऐसे लोग भी इस कार्यकारिणी में शामिल हैं, जिन्हें अपने कामों से भोपाल की आवाजाही लगी रहती है, इस सफर को अकादमी के सरकारी खर्च से पूरा करने की मंशा के साथ ये अकादमी के मेंबर बन गए हैं।
ये हैं कार्यकारिणी
कमलनाथ संरक्षक
डॉ अज़ीज़ कुरैशी, अध्यक्ष
सदस्य
प्रो हसन मसूद
मलिक जादा जावेद (दिल्ली)
प्रो अख्तर उल वासे (जोधपुर)
डॉ युनूस फरहत
प्रो अजहर राही
प्रो खालिद महमूद (जामिया)
देवी सरन
प्रो अनीस सुल्ताना
प्रो ज़मीर उद्दीन
प्रो शेख निजामी
डॉ अनीता सोनी (जबलपुर)
चन्द्र भान ख्याल
ज़फ़र सहबाई
अज़ीज़ अंसारी (इंदौर)
प्रो शहपर रसूल (दिल्ली)
प्रो अली अहमद फातमी
प्रो नवेदिता
प्रो फरजाना गज़ाल
डॉ नुजहत अनीस
बॉक्स
दौड़ अध्यक्ष की, बनाया सदस्य
शिक्षा, शायरी और सहाफत से जुड़े इंदौर के अजीज अंसारी अकादमी अध्यक्ष के लिए दावा कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने उच्चस्तरीय राजनीतिक और प्रशानिक दबाव भी बनाया था। लेकिन डॉ अजीज कुरैशी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उन्हें उपाध्यक्ष के तौर पर समायोजित किया जाएगा। लेकिन सदस्य सूची में शामिल कर उनकी दावेदारी को ख़तम कर दिया गया है। जबकि चेयरमैन पद पर नियुक्ति होना अभी बाकी है।
स्थानीय दरकिनार, बाहर से पहुंच रहे मेहमान
इसी माह के अंत में जबलपुर में होने वाले एक मुशायरा को लेकर स्थानीय शायरों और कवियों में नाराजगी फैली हुई है। बताया जा रहा है कि इस मुशायरे में जहां सारे प्रदेश और प्रदेश के बाहर से आने वाले शायर और कवि अपना कलाम पढ़ेंगे, वहीं मकामी शायरों को इस कार्यक्रम से दूर रखा गया है।
घर तक लग रही फाइलों की दौड़
मप्र उर्दू अकादमी के नए अध्यक्ष डॉ अजीज कुरैशी की उम्र और बुज़ुर्ग दौर की बीमारियां उन्हें अब ऑफिस की लंबी बैठक के लिए माकूल नहीं मानती हैं। सूत्रों का कहना है कि पदभार ग्रहण करने के बाद वे अकादमी दफ्तर कम ही पहुंचे हैं। इन हालात के चलते जरूरी फाइलों को लेकर यहां के कर्मचारियों को अध्यक्ष के घर की दौड़ लगाना पड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि कभी कभी कर्मचारी को फाइल पर दस्तखत लेने के लिए अध्यक्ष निवास के कई चक्कर भी लगाना पड़ जाते हैं।
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