मुश्किल में सरकार, तटस्थ दिखे मुस्लिम कांग्रेसी!
-अकील से लेकर मसूद तक ने निभाई दोस्ती, सिद्दीकी से लेकर अनवर दस्तक तक ने निभाया पार्टी के लिए फर्ज
खान अशु
भोपाल ब्यूरो। भाजपा की सत्ता लोलुप्ता और अपनों की दगाबाजी के चलते मुश्किल में आई प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सहारा देने वालों में सबसे आगे अगर किसी को देखा जाएगा तो वह पार्टी के अल्पसंख्यक और मुस्लिम कांग्रेसी हैं। मंत्री अकील से लेकर विधायक मसूद तक अपने तौर पर सरकार बचाने और पार्टी की साख को बरकरार रखने में तटस्थता से खड़े दिखाई दे रहे हैं। कभी सिंधिया के खास सिपाहसालार रहे अस्मत सिद्दीकी अब लोगों को अपनी आस्थाओं से पार्टी बदल को जोडऩे से रोकने की मुहिम चलाए हुए हैं। इधर अपने तौर पर सरकार को मजबूत करने और पार्टी के बिखराव को रोकने के लिए पार्षद अनवर दस्तक ने भी मोर्चा खोल रखा है। संगठन से जुड़े मोहम्मद सलीम, आसिफ जकी से लेकर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष मुजीब कुरैशी भी अलग-अलग मोर्चों पर डटकर सरकार और पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिशों को अंजाम दे रहे हैं।
करोड़ों रुपए का लालच, सरकार और संगठन में तवज्जो और बेहतर पद की लालच के दौर में कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम नेता अपने वायदे और इरादे के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। राजधानी की एक ही विधानसभा से पांच बार के विधायक और दूसरी बार मंत्री बने आरिफ अकील अब कांग्रेस की मेढ़ की तरह खड़े दिखाई दे रहे हैं। संकट के दौर में बाहर जाने वालों को सहेजना और अंदर आने वालों के लिए रास्ता खोलने की अकील की कवायद सरकार को बचाने और पार्टी को मजबूत बनाने की है। जिस दौर में विधायकों की यहां से वहां तक भागदौड़ और किसी सुरक्षित स्थान पर सहेजे रखने के कयास जारी हैं, पार्टी ने आरिफ अकील को जरूरी कामों के लिए फिलहाल राजधानी में ही रुके रहने की हिदायत दी है। यह पार्टी का उनके प्रति विश्वास और यकीन कहा जा सकता है, जो उनपर किसी तरह की पाबंदी आयद करने की बजाए उन्हें राजधानी में सियासी कवायदों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि आरिफ अकील को लेकर पिछले कुछ सालों में इस बात को लेकर अफवाहों का दौर उठता रहा है कि वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले हैं। हालांकि यह अफवाहें महज उनके स्व. बाबूलाल गौर से दोस्ताना ताल्लुकात का ही नतीजा रही हैं।
मसूद किला मजबूत करने के अहम किरदार
राजधानी की मध्य विधानसभा के विधायक आरिफ मसूद ने कांग्रेस के पिछले संकट के दौर में अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी समेत कुछ और विधायकों को वे कांग्रेस के पक्ष में लाकर खड़ा कर चुके हैं। मौजूदा हलचल के दौरान भी मसूद अपने युवा अंदाज में ऐसे साथियों और भाजपा के कमजोर चेहरों पर नजरें जमाए बैठे हैं, जिनको कांग्रेस के साथ खड़ा कर सरकार का संकट टाला जा सकता है। राजधानी से दूर रहकर भी वे अपने सियासी समीकरणों को अंजाम दे रहे हैं और उम्मीद की जा सकती है कि पार्टी के इस गेम को सुरक्षित खेमे में लाने के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। मंत्री पद और अधिक तवज्जो के लालच को दरकिनार कर मसूद ने कांग्रेस के मुश्किल वक्त में पार्टी का झंडा बुलंद कर रखा है। सूत्र बताते हैं कि तोडफ़ोड़ की सियासत के दौर में उन्हें भी कई लालच और प्रलोभन देकर बगागत के लिए उकसाया जा चुका है।
कभी थे महाराज के खास, अब सिर्फ कांग्रेस के वफादार
राजधानी के ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों में सबसे आगे नाम रखने वाले अस्मत सिद्दीकी गुड्डू नए बदलाव को स्वीकार करने से साफ इंकार कर चुके हैं। उनका कहना है कि आस्थाएं पार्टी के साथ हैं, व्यक्ति विशेष के साथ नहीं। इसलिए वे कांग्रेस के सामान्य कार्यकर्ता बनकर काम करना बेहतर मानते हैं। अस्मत बताते हैं कि संकट के इस दौर में जब चारो तरफ भागदौड़ के हालात बने हुए हैं, उन्होंने शिवपुरी, गुना, ग्वालियर समेत उन सभी इलाकों, जहां सिंधिया का वर्चस्व है, में मुस्लिमों को कांग्रेस से पलायन करने से रोकने की कोशिश की है। इस कोशिश का नतीजा यह है कि अब भी सिंधिया के साथ जाने वाले कार्यकर्ताओं का आंकड़ा बहुत कम है, जबकि कांग्रेस के साथ बने रहने और पार्टी से आस्था रखने वालों की तादाद बहुत ज्यादा।
महसूस की दस्तक और पाल बांधने निकल पड़े
प्रदेश में सियासी हलचल को महसूस करते हुए इंदौर के कांग्रेसी पार्षद अनवर दस्तक ने भी अपने तौर पर पार्टी बचाओ अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने अपने साथ के उन पार्षदों और स्थानीय नेताओं पर नजर दौड़ाई, जिनकी आस्थाएं महाराज के साथ हो सकती हैं, और इनको सहेजे रखने की मेहनत शुरू कर दी। कांग्रेस से बगावत की तरफ बढ़ रहे मुस्लिम कांग्रेसियों को आपसी समझाईश और कल की बेहतरी की सीख देकर अनवर ने कई बड़े धड़ों को आस्था की बाढ़ में बहने से रोकने की कोशिश में कामयाबी हासिल की है। अनवर अब भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार इस कवायद में लगे हुए हैं कि कोई भी मुस्लिम कांग्रेसी कार्यकर्ता सिंधिया के साथ भाजपा के प्रवाह में जाकर अपनी पहचान न खोए।
सलीम और जकी भी लगे कोशिशों में
कमलनाथ के नामलेवाओं में सबसे ऊपर गिने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारी मोहम्मद सलीम और जिला कार्यवाहक अध्यक्ष आसिफ जकी भी महाराज के पलायन को गलत करार देने और कांग्रेस के साथ रहने में ही भलाई है, की सीख मुस्लिम समुदाय को देने में आगे हैं। जहां सलीम मुस्लिम कांग्रेसियों को जमा कर मौजूदा दौर में धैर्य और सुकून से फैसला लेने की ताकीद कर रहे हैं, वहीं आसिफ जकी ने सिंधिया के शहर आगमन वाले दिन उनका पुतला फूंककर अपनी नारागजी जाहिर कर दी है।
ताकि प्रकोष्ठ में न हो तोडफ़ोड़
प्रदेश के मुस्लिम और अल्पसंख्यक समुदाय को सहेजने की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एडवोकेट मुजीब कुरैशी ने अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की तरफ नजर दौड़ाकर उनमें शामिल कमजोर कडिय़ों को चिन्हित कर लिया है। इस कवायद के बाद वे लगातार ऐसे लोगों पर नजर भी रख रहे हैं और उन्हें समझाईश भी दे रहे हैं कि पार्टी की आस्था से बढ़कर कोई चीज नहीं है। वे किसी बहकावे और भ्रम में आकर पार्टी पलायन करने वालों को रोकने की कोशिशों में जुटे दिखाई दे रहे हैं।
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