गाडिय़ों के पीछे दौड़ते भूखे, प्रशासन की खोल रहे पोल
तपते दिन की भरी धूप में दौड़ रहे भूखे
भोपाल। दिन का तकरीबन 3 बज रहा है, दिन की तपती गर्मी भी है। यहां भूखे तो हैं, लेकिन खाना नहीं। इक्का दुक्का गाडिय़ों की आमद होती है, लेकिन भूखों की तादात कम नहीं होती। गाडिय़ों के पीछे बेतहाशा भागते लोग और उनसे पीछा छुड़ाते निगम और समाज सेवकों की गाडिय़ों को यहां आसानी से देखा जा सकता है। यह नजारा हमीदिया रोड पर तकरीबन रोज ही देखने को मिल जाएगा। ऐसे में हजारों को खाना खिलाने का दावा करने वाले जनसेवक और निगम के आला अधिकारियों की पोल खुलती दिखाई देती है। नगर-निगम की गाडिय़ों की आमद के बाद यहां का नजारा और भी विकट हो जाती है, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के मायने खत्म हो जाते हैं, और लोग भूख के आगे सभी नियम-कायदे तोड़कर इनके पीछे दौड़ते नजर आते हैं। भीड़ बेकाबू हो जाती है। हालांकि यहां पर समाजसेवकों की गाडिय़ों तो आती हैं और कुछ पैकेट भी देती हैं, लेकिन वह नाकाफी है। यहां का नजारा शासन की उन दावों की पोल खोलती है, जहां वह हर किसी को खाना पहुंचाने का दावा बराबर करता रहा है।
भोपाल टॉकीज और अन्य स्थानों पर सड़क किनारे ठिकाना बना चुके मजबूर या अन्य कारणों से बे-रोजगार हुए मजदूर यहां फंसे हैं। कई लोगोंं के साथ उनका परिवार भी है। ऐसे में एक व्यक्ति एक ही पैकेट का सिद्धांत भी लोगों को बार-बार सड़कों पर आने के लिए मजबूर करता है। छोटे बच्चों और महिलाओं के लिए खाना जुटाते परिवार के सदस्य सड़कों पर भटकते रहते हैं। वहीं जब तक एक वक्त का इंतजार खत्म होता है, रात के खाने का इंतजाम फिर इस भीड़ का कारण बनता है। ऐसे ही कुछ लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें खाने के लिए दिन भर दौडऩा पड़ता है। शासन और अन्य माध्यमों से की जा रही मदद भी नाकाफी है। यह केवल एक ही जगह का नजारा है, तो फिर अन्य जगहों पर क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
0 Comments