बरकतउल्ला भोपाली के नाम से चेयर की स्थापना की मांग
भोपाल। मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली एजुकेशनल एन्ड सोशल सर्विस सोसायटी ने बरकतुल्लाह विवि में चेयर स्थापित किए जाने की मांग दोहराई है। मौलाना ने भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, अफगानिस्तान, जापान और मलाया में भारतीयों बीच अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध बगावत की चिंगारी भरने का काम किया था। इसके लिए उन्होंने विश्व के बड़े नेताओं से हिंदुस्तान में आजादी की लड़ाई के लिए मदद मांगी।
मौलाना बरकतउल्ला भोपाली का जन्म 7 जुलाई 1854 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। उन्होंने भोपाल के सुलेमानिया स्कूल से अरबी, फारसी की माध्यमिक और उच्च शिक्षा के बाद यहीं से हाई स्कूल तक की अंग्रेजी शिक्षा भी हासिल की। शिक्षा के दौरान ही उन्हें उच्च शिक्षित अनुभवी मौलवियों, विद्वानों से मिलने और उनके विचारों को जानने का मौका मिला। तालीम खत्म करने के बाद उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम किरदार अदा किया। इसके लिए उन्होंने कई कुर्बानियां दीं, लेकिन उन्हें भुला दिया गया। आज वे नई पीढ़ी से दूर हो गए हैं। इसकी वजह है उनके किसी भी साहित्य को प्राथमिक या कॉलेज शिक्षा में शामिल न होना। मौलाना के जन्म दिवस पर सोसायटी के पदाधिकारियों ने याद कर उन्हें देश का सच्चा सिपाही बताया। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि जिनके नाम पर विवि स्थापित हो, उनके नाम पर विवि में किसी प्रकार की उपाधि हासिल नहीं की जा सकती। इसके बावजूद ऐसे महान हस्ती के विषय पर डिग्री कोर्स नहीं उपलब्ध है। उन्होंने इसके लिए कई बार स्थानीय सांसद और कुलपति को मांग पत्र सौंपा है, लेकिन उसपर विचार अभी तक नहीं हो सका है। उनकी जीवनी को स्कूलों कालेजों के पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए, ताकि आने वाली नस्ले उनके जीवन परिचय और देश के लिए दी गई कुर्बानियों को याद कर सकें। इस मौके पर मुफ्ती मोहम्मद राफे, मो. इमरान ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के बड़े नेता, क्रांतिकारी और गदर पार्टी के नेता को भुला देना अफसोसनाक है।
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