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मॉडल के जरिए समझा रहे विज्ञान के चमत्कार

विज्ञान की पाठशाला में बच्चों को बताए प्रकृति के रहस्य



विज्ञान की पाठशाला में बच्चों को बताए प्रकृति के रहस्य
भोपाल। कोरोना के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं। बावजूद इसके शहर की युवा कम्यूनिकेटर आशी चौहान विज्ञान की पाठशाला लगा रही हंै।  इस पाठशाला में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से ध्यान रखा जा रहा है। आशी चौहान बच्चों को पानी और हवा के प्रेशर से होने वाली प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी दे रही हैं। पाठशाला में आशी ने आसान भाषा में बच्चों को बताया कि पानी से भरी हुई बोतल की निचली सतह में कई छेद करने के बावजूद आखिर पानी क्यों नहीं गिरता। हवा का प्रेशर क्या होता है और यह कितना मजबूत होता है। क्यों हवा के दबाव  से भारी वजन भी उठाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर हम प्लेट में कागज की सतह पर मोमबत्ती जलाकर उसपर उल्टा गिलास रख देते हंै। थोड़ी देर बाद हवा का ऐसा वातावरण बनता है कि गिलास प्लेट को जकड़ लेता है। वे ऐसे ही कई प्रकार के विज्ञान के मॉडल घर में बनाकर उनके बारे में जानकारी दे रही हैं। पाठशाला को लेकर आशी चौहान का कहना है कि फिलहाल स्कूल नहीं लग रहा है। बच्चों के पास पर्याप्त समय है। ऐसे में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने और साथ ही विज्ञान के प्रति बच्चों की रुचि बढ़ाने के लिए वे ऐसी पाठशाला का आयोजन करती हैं। 
प्रकृति भी एक विज्ञान है, प्रयोग से समझाया 
आशी ने बच्चों को समझाया कि पृथ्वी पर बारिश क्यों होती है। पृथ्वी की सतह से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है। पानी के यह छोटे-छोटे कण जब आपस में मिलते हैं तो उन्हें हम बादल कहते हैं। कण इतने हल्के होते हैं कि यह हवा में आसानी से उडऩे लगते हैं। उन्हें जमीन पर गिरने के लिए लाखों बूंदों को मिलकर एक क्रिस्टल बनाना होता है और वह पानी की बूंदों के रूप में बरसता है। सूरज की किरणें हमारी पृथ्वी को गर्म करती रहती हैं, जिससे पानी के कण गर्म होकर वाष्प बनते हैं और एक दूसरे से दूर जाने लगते हैं। यह वाष्प इतनी हल्की होती है कि धीरे-धीरे यह आसमान में बहता हुआ दिखाई देता है। 
बाढ़ से बचने के भी दिए टिप्स
भोपाल में हर साल बरसात के चलते जलभराव की स्थिति बनती है। इसके साथ ही 2016 में आई बाढ़ के बाद बनने वाले हालात भी किसी से छिपे नहीं हैं। आशी ने बताया कि ऐसे में बच्चों को जलभराव व बाढ़ की स्थिति से निपटने के भी महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए। इसके लिए भी मॉडल बनाकर बच्चों को बताया कि प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम क्या होता है। नदी, नाले और इनके आसपास के अतिक्रमण के चलते किस तरह थोड़ी सी बरसात होने पर ही जलभराव की स्थिति बन जाती है और क्यों। 


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