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बुरे दौर में पहुंचे मदरसा, कई बंद, बाकी भी बंद होने की कगार पर

प्रदेश सरकार के किए हाथ ऊंचे, नहीं दे सकते मदरसों के लिए राशि

- ४ साल से अटका हुआ है अनुदान

- बुरे दौर में पहुंचे मदरसा, कई बंद, बाकी भी बंद होने की कगार पर

 

खान आशु

भोपाल। मदरसों के उन्नयन और इन मदरसों में अध्यापन कार्य से जुड़े शिक्षकों के वेतन के लिए मिलने वाली राशि पिछले चार सालों से अटकी पड़ी है। नतीजा यह है कि प्रदेश के २५३५ मदरसा  विकट हालात में पहुंच गए हैं। कई मदरसा आर्थिक परेशानियों के चलते बंद हो चुके हैं तो कई और बंद होने की कगार पर हैं।

जानकारी के मुताबिक प्रदेश के मदरसों को केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि में करीब चालीस प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार का होता है। मदरसा संचालकों द्वारा लगातार अनुदान राशि जारी करने के लिए गुहार लगाई जा रही है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे पत्राचार के दौरान इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि मदरसों के अनुदान राशि में शामिल की जाने वाली अंश राशि जारी करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

जानकारी के मुताबिक राजधानी समेत प्रदेश के करीब 2535 मदरसों को पिछले चार साल से केंद्र सरकार से अनुदान नहीं मिला है। ये अनुदान राशि करीब १२० करोड़ रुपए हैं। मदरसों में अध्ययनरत बच्चों के शिक्षण कार्य के लिए उक्त राशि दी जाती है। यह राशि रुकने से मदरसों का संचालन कर रही संस्थाएं परेशान हैं। उनका कहना है कि ये स्थिति बरकरार रही तो उनके लिए शिक्षण कार्य जारी रखना मुश्किल होगा। बताया जा रहा है इन हालात के चलते कई मदरसा बंद हो चुके हैं और बड़ी तादाद में बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

 

ढाई लाख बच्चों की उम्मीद

अकेले भोपाल में करीब 700 मदरसे मौजूद हैं। जबकि प्रदेश में ये संख्या 2535 है। वैसे प्रदेश में पंजीकृत मदरसों की संख्या लगभग 7401 है। इनमें 2 लाख 30 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। 

 

आरटीआई में हुआ खुलासा

प्रदेश के मदरसों के लिए हक की आवाज़ उठाने वाली संस्था मप्र आधुनिक मदरसा कल्याण संघ लगातार दिल्ली से लेकर प्रदेश के दफ्तरों में अनुदान राशि के लिए गुहार लगा रहे हैं। संघ ने इसके लिए कई केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों से भी मुलाकात कर मदरसों की व्यथा बयान की है। लेकिन हालात ठाक के तीन पात जैसे ही हैं। इसके चलते संघ ने सूचना के अधिकार के तहत अनुदान संबंधी कागजी कार्यवाही की जानकारी हासिल की है। जिसमें ये स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों को अनुदान राशि जारी करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

 

ओहदेदारों विहीन बोर्ड

मप्र मदरसा बोर्ड पिछले दो साल से ओहदेदारों के बिना ही संचालित हो रहा है। पिछली भाजपा सरकार के दौरान यहां आखिरी अध्यक्ष के तौर पर प्रो सैयद इमाद उद्दीन सेवाएं दे रहे थे। जिन्होंने कांग्रेस सरकार के वजूद में आते ही नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस कार्यकाल में बोर्ड में नियुक्ति नहीं हो पाई। भाजपा सरकार के पुनः सत्ता में आने के बाद भी फिलहाल कोई ध्यान नहीं दिया गया है।


 

इनका कहना है

मदरसा अनुदान जारी करने को लेकर शासन स्तर पर पत्राचार चल रहा है। जल्दी ही कोई सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

सैयद सरवत हुसैन रिज़वी,

सचिव, मप्र मदरसा बोर्ड

 

चार बरसों से अनुदान राशि रुकी हुई है। मदरसा शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। मदरसा संचालन मुश्किल हो गया। कई मदरसा बंद हो चुके हैं। 

कफिल अहमद,

सह सचिव, आधुनिक मदरसा कल्याण संघ

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