अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस
मध्यप्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ी विश्व स्तर पर जमा रहे धाक
भोपाल/ कोरोना काल के बीच दुनियाभर में 3 दिसंबर को मनाए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस को मध्यप्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ी इसे ऑनलाइन सोशल मीडिया के माध्यम से उत्साह के साथ मना रहे हैं। इसमें मध्यप्रदेश शासन को अपनी प्रतिभा से गौरवान्वित एवं आश्चर्यचकित करने वाले दिव्यांग नेत्रहीन जूडो खिलाडिय़ों की टीम शामिल हैं। मप्र के इन खिलाडिय़ों को शासन के सहयोग से पर्याप्त अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। यही कारण है कि इन दृष्टिहीन खिलाडिय़ों ने आश्चर्यजनक रूप से चार अन्तर्राष्ट्रीय स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक दिलाकर इंग्लैंड में आयोजित कामनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप फॉर ब्लाइंड 2019 में देश को प्रथम स्थान दिलवाया है। अन्तर्राष्ट्रीय उपलब्धि के लिए मध्यप्रदेश शासन खेल और युवा कल्याण के सहयोग से सभी नेत्रहीन जूडो खिलाड़ी इंग्लैंड सहित उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, इंडोनेशिया और टर्की की यात्राएं कर अपनी धाक विदेशी धरती पर जमा चुके हैं। इस तरह खिलाडिय़ों ने अब तक कुल 21 पदकीय सफलताएं अर्जित की हैं। उक्त उपलब्धि से जहां शासन ने उन्हें पुरस्कार से नवाजा वहीं सीनियर नेत्रहीन खिलाड़ी कपिल परमार, स्वाति शर्मा, पूनम शर्मा एवं सैयद एहतराम ने सारी ताकत आगामी स्पर्धा में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए झोंक दी है।
मध्यप्रदेश में नेत्रहीन खेलों की संस्था श्री ब्लिस मिशन फॉर पैरालम्पिक एंड ओलिंपिक के मुख्य प्रशिक्षक प्रवीण भटेले ने बताया कि आश्चर्यजनक रूप से मप्र में दिव्यांग खेल मजबूत हुए हैं। शासन द्वारा दी जा रही दिव्यांग खिलाडिय़ों को सुविधाएं इसका एकमात्र कारण है। शासन द्वारा दिव्यांग खिलाडिय़ों को सम्मानित किया जा रहा है और नकद पुरस्कार में उन्नीस सौ 1900 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की है। यही कारण है कि मप्र के खिलाडिय़ों ने देश विदेश में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
खोली जा रही दिव्यांग अकादमी
प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं मध्य प्रदेश की एकमात्र नेत्रहीन विश्व वरियता प्राप्त महिला जूडो खिलाड़ी पूनम शर्मा को दिव्यांग बेटी मानकर आशीर्वाद दे चुके हैं। सौभाग्य की बात है कि मध्यप्रदेश की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के आदेश से मध्य प्रदेश राज्य में देश की पहली दिव्यांग खेल अकादमी खोले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही खेल विभाग दिव्यांग खिलाडिय़ों के कल्याण में तत्पर है।
भविष्य की उम्मीद है दिव्यांग खेल
दिव्यांग खेलों का भविष्य उन्नत है। इसका उदाहरण अन्तर्राष्ट्रीय नेत्रहीन जूडो स्पर्धा हैं जिनमें लगभग 50 देशों के खिलाडिय़ों की प्रतिभागिता रहती है। मध्यप्रदेश के खिलाड़ी भी इसमें सहभागिता कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के पैरालम्पिक भविष्य की उम्मीद बन गए हैं। मध्यप्रदेश शासन की दिव्यांग कल्याण योजना से उत्साहित होकर हमारे नेत्रहीन सीनियर पुरुष, सीनियर महिलाए, जूनियर बालक एवं बालिका वर्ग के खिलाडिय़ों ने नेत्रहीन जूडो की खेल संस्था श्री ब्लिस मिशन फॉर पैरालम्पिक एंड ओलम्पिक के साथ जिम, हिल रनिंग और जूडो का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के बाद प्रदेश के खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय नेत्रहीन जूडो प्रतियोगिता में सात स्वर्ण, तीन रजत एवं चार कांस्य पदक प्रदेश के लिए हासिल किए हैं।
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