भोपाल। इतिहास को बयां करता भोपाल का इकबाल मैदान अपनी बेरुखी से दुखी है। यह भी अजीब है कि इस मैदान की खूबसूरती को कैमरे में कैद करने वालों की कोई कमी नहीं। यहां की लोकेशन को कैमरे में कैद कर लोगो की वाहवाही लूटने के लिए यहां आए दिन शूटिंग जारी रहती है। दूसरी ओर मैदान को संवारने की जिम्मेदारी पर पाबंद निगम और पुरातत्व विभाग के अफसरों को इसकी इतिहासिक महत्ता और भोपाल से जुड़ी इसकी पहचान की कोई कीमत नहीं। यही वजह है कि जनसेवकों की लाख मिन्नतों के बावजूद इसकी देखरेख में निगम कोई रुचि नहीं दिखाता। जबकि इससे होने वाली मोटी कमाई पर वह अपना हक जमाना नहीं भूलता और सरंक्षण के नाम पर हर बार बजट ना होने का बहाना बनाया जाता है। इससे विश्व प्रसिद्ध शख्सियत के नाम पर यह धरोहर दुर्दशा का शिकार है। मैदान की पहचान को बताता यहां पर स्थापित शाहीन भी बे रौनक दिखाई देने लगा है। यही नहीं पत्थरों पर उकेरे गए अल्लामा इक़बाल के अशआर उखड़कर गिर रहें हैं। खूबसूरती के लिए लगाया वाटर फाउंटेन बंद है। बिजली के खम्बे टेढ़े और बाउंड्रीवाल गिर रही है और रंग–रोगन के अभाव में मैदान बदहाल है।
जमीयत ने दर्ज कराई आपत्ति
इसकी हालत पर आपत्ति दर्ज कराने वाली जमीअत उलमा मध्यप्रदेश ने एक बार फिर आवाज उठाते हुए इसके संरक्षण की मान की है। प्रेस सचिव हाजी मोहम्मद इमरान का आरोप है कि इक़बाल मैदान का इस्तेमाल तो सब कर रहें है, पर संरक्षण के लिए कोई आगे नही आ रहा है। फिल्मो की शूटिंग के नाम पर किराया वसूलने वाला नगर निगम मैदान के संरक्षण के लिए बजट का रोना रो रहा है, जबकि पर्यटन विभाग ने भी इसकी तरफ से आंखे मूंद ली हैं। इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक और अन्य आयोजन में इक़बाल मैदान का इस्तेमाल तो कया जाता है पर संरक्षण नही। इन दिनों भी इसी तरह की एक नई फिल्म की शूटिंग यहां जारी है।
जमीयत कर रही इसे बचाने का प्रयास
जमीअत उलमा ने पुनः इक़बाल की यादों को बचाने की मांग करते हुए कहा कि जमीअत की टीम पहले भी कई बोर्ड और पत्थर लगा चुकी है। उन्होंने कहा कि मैदान को बचाने के कोशिश जमीअत की टीम करती रही है और आगे भी यह प्रयास किए जाटी रहेंगे।
इस मौके पर मोहम्मद कलीम एडवोकेट, मुजाहिद मोहम्मद खान, हाजी मोहम्मद इमरान आदि ने इसके संरक्षण के लिए लोगों से आगे आने की अपील की है।
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