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श्रृंखला 'गमक' का प्रसारण

 विविध कलानुशासनों की गतिविधियों का ऑनलाइन प्रदर्शन

भारत अखंड, शक्ति में प्रचंड बने: श्री देवकृष्ण व्यास








भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यिक सांगीतिक प्रस्तुति के अंतर्गत राष्ट्र वंदना कार्यक्रम में प्रदेश के कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। सर्प्रथम सुश्री आरती गोस्वामी-देवास, हिमांशु भावसार-झाबुआ, गौरव साक्षी-इंदौर,  दुष्यंत दीक्षित-ग्वालियर,  राजकिशोर वाजपेयी-ग्वालियर, अखिलेश शर्मा-जौरा,  मोहन नागर-बैतूल, श्रीमती प्रार्थना पण्डित-भोपाल ने पढ़ी। देश के प्रख्यात कवि श्री देवकृष्ण व्यास-देवास ने रचनापाठ का समापन किया| मंच सञ्चालन डॉ प्रार्थना पण्डित-भोपाल ने किया.

राष्ट्र वंदना पर आयोजित इस कार्यक्रम में रचनापाठ की शुरुआत सुश्री आरती गोस्वामी ने अपनी रचना- 'शस्य श्यामला भारत भूमि का वंदन सदा विजय बोलो, शोणित ने सींचा जिस वसुधा को उसका अभिनंदन अजय बोलो' से की उसके पश्चात हिमांशु भावसार - पावन पुण्यधरा ये माटी शत शत इसे प्रणाम रे, कृष्ण कन्हैया की ये भूमि यहाँ पर जन्में राम रे, गौरव साक्षी- ना मेरे मन में इष्टजन आए, ना प्रभु आपका भजन आए, श्री दुष्यंत दीक्षित- राष्ट्र यज्ञ की इस बेला में, तुम भी तो कुछ अंशदान दो ! खोए अपने ही स्वरूप को, एक नया अभिमान भान दो ! ओ दधीच हड्डियाँ दान दो ! राजेकिशोर वाजपेयी- बनी नीतियाँ, चली कहाँ थी, क्योंकि नीयत ठीक नहीं थी। धूर्त-तंत्र की चालाकी तो, खुले-आम ही दीख रही थी।। अखिलेश शर्मा- कौन कहता है, धरा पर देशभक्तों की कमी है। देखने वाले दृगों में, धूल कुछ ज्यादा जमी है। श्री मोहन नागर- भस्म-भभूति माथे पर, फिर उनकी आज धरूँ। ओ कारगिल के अमर शहीदों, सौ-सौ नमन करूँ। श्रीमती प्रार्थना पण्डित- आज बड़ा बेगाना लागे, जिस आंगन में खेला हूँ, सरहद से है चिट्ठी आयी, मां मैं बहुत अकेला हूँ रचनापाठ किया एवं देश के प्रख्यात कवि श्री देवकृष्ण व्यास ने भारत अखंड बने शक्ति में प्रचंड बने, हो सके तो आप यह यत्न बन जाइये, आजादी का गान हो, मान स्वाभिमान हो, दसों दिशा गूँज उठे जश्न बन जाइये छंद पाठ से प्रस्तुति को विराम दिया|

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