ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार है भारत!
खेलो का स्तर सुधारने इसकी कितनी जरूरत
साद सिद्दीकी. भोपाल। इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी के चेयरमैन थॉमस बाक ने भारत से ओलंपिक की मेजबानी को लेकर चर्चा की इच्छा जताई है।यह चर्चा ऐसे वक्त हो रही है जब आयोजन के लगभग सप्ताह भर बाद भारत के पास सिल्वर है। मिशन 2020 के अपने लक्ष्य को पूरा कर मीरा बाई चानू ने भारत का टिकट कटा लिया। हालांकि आगामी दिनों में स्वर्ण के लिए उसकी दावेदारी कायम है। तो क्या भारत भी इसके लिए तैयार है।
असल में दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन की मेजबानी गर्व की बात है। इससे ना सिर्फ किसी देश की आर्थिक बदलाव संभव है, बल्कि खेलो के आधारभूत ढांचे में सुधार भी होता है। इससे विश्व में किसी देश की कीर्ति बढ़ती है, पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक समृद्धि भी होती है, लेकिन इसमें धन, बल और संसाधनों की भरपूर आवश्यकता के लिए बड़ा खर्च भी होता है। कोरोना की चुनौतियों के बीच जापान ने इसपर बड़ा खर्च किया है।
तो क्या सर्वाधिक खर्च वाले आयोजन के लिए भारत के पास भी पर्याप्त सामर्थ्य है
इस विषय पर अलग अलग राय है। कहा तो यह भी जाएगा कि मेजबानी का दूसरा पहलू पदक तालिका में गरिमामय उपस्थिति भी होना आवश्यक है। जबकि इस ओलंपिक भारत के पास ज्यादा कुछ नहीं है। एक ओर जहां चीन सर्वाधिक गोल्ड जीतकर नंबर एक की जगह बना चुका है। मेजबान जापान और अमेरिका उसके नजदीकी कंप्टीटर बने हुए हैं। दूसरे परिदृश्य में भारत टॉप 10 देशों में स्थान बनाने से भी काफी पीछे दिखता है। जबकि यह पहला मौका होगा कि इस ओलंपिक भारतीय खिलाड़ियों का 126 खिलाड़ियों का सबसे बड़ा दल 18 खेलों की 69 प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहा है। इनमें बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती और निशानेबाजी में कई प्रमुख दावेदार भी हैं।
पिछले कुछ वर्षों को देखें तो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन बहुत बढ़िया नहीं कहा जायेगा। इसकी वजह खेलों के क्षेत्र में अब भी बहुत कुछ किया जाना दिखाई पड़ता है। तो क्या ओलंपिक की मेजबानी से भारत के खेलो को नई संजीवनी मिल सकेगी, क्या भारत इसके लिए तैयार है। यह भी चर्चा का विषय है।
हमारा ओलंपिक इतिहास
ओलंपिक इतिहास में भारत ने पहली बार 1900 में मेडल जीता था। अब से पूर्व भारत ने ओलंपिक में कुल 28 मेडल जीते हैं। भारत ने सबसे पहली बार हॉकी में मेडल 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में जीता है। इसमें भारत ने स्वर्ण जीता था। इसके बाद भारत ने 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1960, 1964, 1968, 1972 तथा 1980 तक हॉकी में पदक जीते। भारत ने अंतिम हॉकी पदक 1980 में मॉस्को ओलंपिक में जीता था। इस प्रकार अब तक भारत 8 स्वर्ण, एक रजत, दो कांस्य पदक प्राप्त कर चुका है।
भारत की तरफ से नॉर्मन प्रिटचर्ड ने पहली बार ओलंपिक में शिरकत की और अपने पहले ही ओलंपिक में दो सिल्वर मेडल जीत कर एशिया में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल में दूसरा स्थान हासिल किया था।
इसके बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत ने 1952 में हेलसिंकी (फिनलैंड) में पहला पदक जीता। पहलवान के डी जाधव ने कांस्य पदक अपने नाम किया।
1996 में अटलांटा ( अमेरिका) में टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने कांस्य पदक प्राप्त किया। इसके बाद 2000 के सिडनी ( ऑस्ट्रेलिया) में कर्णव महेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता तथा प्रथम भारतीय महिला ओलंपिक पदक विजेता बनी। 2004 में एथेंस ओलंपिक में पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में रजत पदक हासिल किया।
2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक, कुश्ती में सुशील कुमार ने कांस्य, वही इसी ओलंपिक ने विजेंदर सिंह ने भी मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीता।
2012 लंदन ओलंपिक में भारतीय दल ने सबसे ज्यादा 6 मेडल जीते। भारत ने इस ओलंपिक में 2 रजत और 4 कांस्य पदक अपने नाम किये थे। विजय कुमार ने शूटिंग, सुशील कुमार ने कुश्ती में रजत पदक जीता था। योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में और गगन नारंग ने शूटिंग में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था। मेरीकॉम ने बॉक्सिंग और साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता था।
2016 के रियो ओलंपिक में भारत ने उम्मीदों के अनुकुल प्रदर्शन नहीं किया और भारत ने केवल 2 पदक जीते। बैडमिंटन में पीवी सिंधू ने रजत पदक जीता और साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत को पदक तालिका में स्थान दिलाया।
क्या कहते है ओलंपियन
भारत एक बड़ा नाम है। ओलंपिक की मेजबानी से विश्व में उसका नाम जाना लाजिमी है। इससे विश्व के पर्यटक करीब से भारत को देखकर इसकी संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। इससे खेल का कल्चर तो बढ़ेगा ही भारत के खिलाड़ियों के लिए निचले स्तर की सुविधाएं भी बढ़ जाएंगी। स्पोर्ट्स और देश की उन्नति और भी बढ़ जाएगी। वर्ष 2032 के लिए यह आयोजन भारत में कराए जा सकते है।
अशोक ध्यानचंद, पूर्व हॉकी ओलंपियन
अगर भारत ओलंपिक की मेजबानी करता है तो यह भारत के इतिहास का सुनहरा पन्ना होगा। यह विशेषकर खेल और भारत के लिए नई इबारत लिखेगा। इससे दुनियाभर में भारत की नई पहचान कायम होगी।जलालुद्दीन रिजवी, पूर्व हॉकी ओलंपियन
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