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एकाग्र श्रृंखला 'गमक'

'गुरु वन्दना' और 'हिंदी साहित्य में पावस ऋतु' की प्रस्तुति 

भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज से साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यिक सांगीतिक प्रस्तुति के अंतर्गत सुश्री विभा चौरसिया और साथी, इंदौर द्वारा 'गुरु वन्दना' एवं संतोष अग्निहोत्री और साथी, इंदौर द्वारा 'हिंदी साहित्य में पावस ऋतु' प्रस्तुति का प्रसारण  किया गया| 

प्रस्तुति की शुरुआत विभा चौरसिया और साथियों द्वारा 'गुरु वंदना' से हुई जिसमें उन्होंने मीरा भजन- मोरी लागी लगन, संत ब्रह्मानंद का मुझे सतगुरु संत मिलाए सखी, धर्मदास का गुरु पैया लागू, मीरा बाई का - मिलता जा गुरु ज्ञानी एवं संत गोरख दास जी का भजन- गुरुजी मैं तो एक निरंजन का गायन किया|

प्रस्तुति में तबले पर संजय मंडलोई एवं हारमोनियम पर डॉ. रचना शर्मा ने संगत दी| 

दूसरी प्रस्तुति सुगम संगीत, उप शास्त्रीय गायक एवं संगीत रचनाकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा सांगीतिक कार्यक्रमों के लिए छह बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरुस्कृत, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा अनुमोदित कलाकार संतोष अग्निहोत्री द्वारा 'हिंदी साहित्य में पावस ऋतु' की हुई जिसमें- पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की- फिर नभ घन गहराए बादल, सुमित्रा नंदन पंत- पावस ऋतु में परबत प्रदेश..., जयशंकर प्रसाद की तुम्हे बांध पति सपने में..., महादेवी वर्मा की- सघन घटा जब घिर छा जाती.. एवं लोक साहित्य की रचना- सावन झड़ी लगेला धीरे धीरे की प्रस्तुति दी |  

प्रस्तुति में तबले पर अजय राव, गिटार पर विकास जैन एवं सिंथेसाइजर पर अभिजीत गौर ने संगत दी| 

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