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एकाग्र श्रृंखला 'गमक

विविध कलानुशासनों की गतिविधियों का प्रदर्शन

हिन्दुस्तानी संगीत में ठुमरी और कजरी गायन





भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज भोजपुरी साहित्य अकादमी की ओर से केएल पाण्डेय, लखनऊ द्वारा 'हिन्दुस्तानी संगीत में ठुमरी एवं बदलते स्वरुप' विषय पर एकाग्र परिचर्चा एवं संजीव सिन्हा, जबलपुर द्वारा कजरी गायन की प्रस्तुति हुई।

प्रस्तुति की शुरुआत केएल पाण्डेय द्वारा 'हिन्दुस्तानी संगीत में ठुमरी एवं बदलते स्वरुप' विषय पर एकाग्र परिचर्चा से हुई| श्री पाण्डेय ने परिचर्चा में ठुमरी के बदलते स्वरूप, गायक एवं गायिका पर परिचर्चा के दौरान उनकी बारीकियों को साझा किया|

दूसरी प्रस्तुति संजीव सिन्हा एवं साथियों द्वारा 'कजरी गायन' की हुई जिसमें उन्होंने कजरी- नाचन लागे मोर, पड़न लागे रिमझिम, झूला गीत- सुकुमारी सिया हो, दुलारी सिया हो, झूला धीरे से झुलाओ, कजरी- सखी बरसे झमा-झम पानी एवं झूला गीत- झूला पड़ा कदम की डार का गायन किया| 

प्रस्तुति में हारमोनियम पर स्वयं संजीव सिन्हा, ढोलक पर राम ब्राम्हणे तबले पर ऋषभ भट्ट गिटार पर  अंशुमान नामदेव एवं मंजीरा पर प्रथम कुशवाहा ने संगत दी| 

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