विविध कलानुशासनों की गतिविधियों के अंतर्गत
नदी प्यासी थी' का नाट्य मंचन
भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से सरफ़राज हसन के निर्देशन में यंग्स थिएटर फाउंडेशन, भोपाल के कलाकारों द्वारा 'नदी प्यासी थी' का नाट्य मंचन किया गया जिसका प्रसारण विभाग एवं मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारित किया गया|
कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने सभी कलाकारों का स्वागत किया। नाटक के संबंध में जानकारी देते हुए नाटक के लेखक धर्मवीर भारती ने कहा कि आज प्रस्तुत किया जाने वाला नाटक "नदी प्यासी थी" एक ऐसी अभिशापित नदी की कहानी के आस पास मंडराती है जिसके बारे में यह प्रसिद्ध है कि यह नदी हर वर्ष ‘मानव बलि’ लेकर ही अपने उफान से उतरती है।
अन्धविश्वास और रूढ़ीवादी मान्यताओं पर कटाक्ष, संवाद तथा सामाजिक - असामजिक घटनाओं पर केन्द्रित इस नाटक को विचारों और अंतर्द्वंद की इसी ज़मीन पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, नाटक की एक पात्र ‘पद्मा’ का यह कहना की “आखिर होना पुरुष - अधिकार की प्यास जाएगी थोड़े ही” कई सवालों को जन्म देता है तो वहीँ दुसरे मुख्य पात्र ‘राजेश’ का आत्महत्या करने के विचार को त्याग कर कहना कि “मैं फिर जिंदगी में लौट आया हूँ..कि क्रूरता और कमज़ोरी के सामने हारूँगा नही, मरुंगा नही, सौन्दर्य का सृजन करूँगा और सुन्दर बनूँगा, जिंदगी बहुत प्यारी है" से नाटक अपनी मूल कथा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है |
कार्यक्रम के अंत में अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने तमाम श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक बुलानी ने किया।
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