विविध कलानुशासनों की गतिविधियों का प्रदर्शन
कबीर गायन' और करमा' की प्रस्तुति
भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की ओर से सत्यमंगल मांगीलाल कुलश्रेष्ठ और साथी, आगर मालवा का 'कबीर गायन' एवं सोनसाय बैगा और साथी, मंडला द्वारा बैगा जनजातीय नृत्य 'करमा' की प्रस्तुति हुई जिसका प्रसारण किया गया|
प्रस्तुति की शुरुआत सत्यमंगल मांगीलाल कुलश्रेष्ठ और साथियों द्वारा 'कबीर गायन' से हुई| श्री सत्यमंगल ने सर्वप्रथम कबीर पद- मोतीड़ा चुगे रे हंसो मोतीड़ा चुगे प्रस्तुत किया उसके बाद तम्बूरा सुण ले रे साधो भाई, जीने साधो की संगत पाई रामा, मन मस्त हुआ फिर क्या बोलें एवं मोती समुन्दरा मोती चल उड़ हंसा वा देश प्रस्तुत कर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया|
प्रस्तुति में सत्यमंगल मांगीलाल कुलश्रेष्ठ के साथ सहगायन में श्रीमती शारदा देवी कुलश्रेष्ठ ने, ढोलक व सहगायन में श्री महेश कुलश्रेष्ठ ने एवं हारमोनियम पर गंगाराम मालवीय, वायलिन पर रईश खान, वांगो पर मनोज घुड़ावद, मंजीरे पर- श्री सोहन राव व दिनेश मालवीय और करताल पर श्याम मालवीय ने संगत दी|
श्री सत्यमंगल को बचपन से ही भजन गायन में रूचि थी आपने लोगों को सुन-सुन कर गायन सीखा विशेष रूप से पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया का गायन सुनकर आपने गायन सीखा | कुलश्रेष्ठ देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं आपको दूरदर्शन आकाशवाणी के कार्यक्रम बच्चों, किसानों और महिला उत्थान की वार्ता के लिए समय-समय पर आमंत्रित किया जाता रहा है | सत्यमंगल को राज्य स्तरीय पर्यावरण संरक्षण पर स्वरचित गीत के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है|
दूसरी प्रस्तुति सोनसाय बैगा और साथियों द्वारा बैगा जनजातीय नृत्य 'करमा' की हुई| प्रकृति से जुड़ी बैगा जनजाति के लोग हजारों वर्षों से जंगलों में निवास करते आ रहे हैं, मुख्य रूप से मंडला, समनापुर, डिंडोरी, बालाघाट, सरगुजा, बिलासपुर, अमरकंटक के पहाड़ी अंचलों में निवास करते हैं। बैगाओं का खास आवास मंडला और डिण्डोरी है।
करमा नृत्य- बैगाओं का करमा नृत्य नये साल की खुशहाली एवं नया जीवन प्राप्त होने की ख़ुशी में विजयादशमी से लगाकर वर्षा के प्रारम्भ तक चलता है। जब युवक मंदिर पर थाप लगा देते हैं तो युवतियाँ घर से निकल जाती हैं और करमा नृत्य शुरू हो जाता है। करमा नृत्य रात भर चलने वाला नृत्य है । करमा नृत्य में पुरुष बीच में खड़े होकर माँदर बजाते हैं और गायन करते हैं, स्त्रियाँ उनके आसपास घेरे में कमर में हाथ रखकर एवं पैरों की मद्दम गति के साथ झुककर एक हाथ से हाव-भाव दिखाते हुए नर्तन करती हैं|
प्रस्तुति में गायन/ नृत्य महा सिंह बैगा, कलावती एवं भागवती ने और टिमकी पर इन्दरलाल, नगाड़ा/ मांदर पर सोनसाय बैगा व राजकुमार ने तथा संतोष बैगा, प्रेम सिंह, कार्तिक राम, सुरेन्द्र, समारू, राजकुमार, जनिया, फूलवती, रामप्यारी एवं सहनवती बैगा ने नृत्य में सहभागिता की|
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